आबिदा परवीन की दुनियावी भरम से मुक्ति की आवाज़ और किशोरी अमोनकर का कुलीन, पवित्र और स्थिर स्वर.. दोनों छोरों को अतिक्रमित करती यथार्थबोध से उपजी एक जुझारू आवाज़ बेग़म अख़्तर की! बेग़म अख़्तर पर बारहा लिखने का मन हुआ करता था लेकिन ‘और फिर तल्ख़िए एहसास ने दिल तोड़ दिया’ जैसा हाल हो गया। कमउमरी में उन्हें सिर्फ़ उनकी …
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