Press Freedom Day in Hindi: India is one of the most dangerous countries in the world for journalists 3 मई – प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर विशेष (World Press Freedom Day 2022) एक स्वतंत्र प्रेस हमारे लोकतांत्रिक समाज में एक आवश्यक भूमिका निभाता है जैसे -सरकारों को जवाबदेह ठहराना, भ्रष्टाचार, अन्याय और सत्ता के दुरुपयोग को उजागर करना, समाज को सूचित …
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नफरत के खिलाफ विपक्ष एक साथ, चुप हैं मौन मोदी
देशबन्धु में संपादकीय आज (Editorial in Deshbandhu today) देश में सांप्रदायिक हिंसा पर संपादकीय | Editorial in Hindi on communal violence in the country क्या बदल चुकी हैं सरकार और विपक्ष की जिम्मेदारियां ? | Have the responsibilities of the government and the opposition changed? देश में पिछले आठ सालों में कई परंपराएं, नियम, कानून, मान्यताएं और मीडिया का चरित्र …
Read More »रूस-यूक्रेन युद्ध में पश्चिमी मीडिया की भूमिका पर सवाल
The Latest on Russia’s Social Media Bans | Question on the role of Western media in the Russo-Ukraine war रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच रूस ने बहुत से पश्चिमी मीडिया संगठनों तक अपनी जनता की पहुंच प्रतिबंधित कर दी है। रूस की तरफ़ से कहा गया कि यह कदम यूक्रेन पर रिपोर्टिंग के दौरान इन संगठनों तरफ़ से झूठी जानकारियां फैलाने …
Read More »यूक्रेन : बहुध्रुवीय विश्व के अंतर्विरोधों की जकड़ में ज़मीर
Ukraine: Conscience in the grip of contradictions of a multipolar world : Ukraine remains an arena of rivalry to the imperialist powers यूक्रेन साम्राज्यवादी शक्तियों को प्रतिद्वंद्विता का अखाड़ा बना हुआ है। साम्राज्यवाद का गहराता संकट और अफगानिस्तान में अमरीकी साम्राज्यवाद की पराजय, दुनिया में कच्चे माल के स्रोतों पर कब्जे कि होड़, बाजारों को हड़पने के लिए छीना-झपटी के …
Read More »यूपी : क्यों फेल हो रही है भाजपा की हिन्दू-मुसलमान पिच, क्यों बढ़ा अखिलेश का आत्मविश्वास?
UP: Why BJP’s Hindu-Muslim pitch is failing, why Akhilesh’s confidence increased? भाजपा अपने हिन्दू-मुसलमान पिच पर बड़े भरोसे से खेल रही थी। मगर वह भूल गई थी कि सितारों के आगे जहां और भी हैं। बाजी रातोंरात पलट सकती है। पिच अचानक मंडल बनाम कमंडल (Mandal vs. Kamandal) में बदल गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सांप्रदायिक विभाजन करते हुए कहा …
Read More »जनादेश का अभूतपूर्व प्रहसन : विशाल रैलियां भी होंगी और लॉकडाउन की तैयारी के मध्य कर्फ्यू जारी रहेगा
चाहे कुछ हो जाये, चुनाव जरूर होंगे। मीडिया और तकनीक के जरिये लड़ेंगे चुनाव। विशाल रैलियां भी होंगी और लॉकडाउन की तैयारी के मध्य कर्फ्यू जारी रहेगा। जनादेश का अभूतपूर्व प्रहसन लेकिन स्कूल कालेज कारोबार उद्योग धंधे सब बन्द हो जाएंगे। चंद दिनों के लिए गरीबों और भिखारियों को खैरात बांटे जाएंगे और कारपोरेट कम्पनियों को राहत पैकेज दिए जाते …
Read More »सुधा सिंह के 25 साल और वे
सुधा सिंह के 25 साल और वे सामान्य तौर पर किसी भी शिक्षक के जीवन में 25 साल तक एमए और उसके ऊपर की कक्षाएं नियमित पढ़ाने और नियमित शोध करने और शोध निर्देशन के काम में निरंतरता एक विरल चीज है। हमारे हिंदी में विश्वविद्यालय शिक्षक शोध निर्देशन तो खूब करते हैं लेकिन स्वयं शोधकार्य कम करते हैं। हिंदी …
Read More »सेंसरशिप से भी ज्यादा खतरनाक है, मीडिया को डराने की भाजपाई हरकतें : माकपा
मध्य प्रदेश में 2 माह में आठ पत्रकारों पर एफआईआर | FIR on eight journalists in Madhya Pradesh in 2 months भोपाल, 14 जून 2021. मध्यप्रदेश में तानाशाही जिस प्रकार दबे पांव आ रही है और एक के बाद एक जनतांत्रिक अधिकारों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर दमन कर रही है, वह खतरनाक है और यदि अभी भी सामूहिक प्रतिरोध …
Read More »जस्टिस काटजू ने बताया भारतीय मीडिया का मानसिक स्तर कितना नीचा है
भारतीय मीडिया का मानसिक स्तर हमारी मीडिया का मानसिक स्तर कितना नीचा है वह इस वीडियो से मालूम हो जाता हैI हर राजनैतिक व्यवस्था या राजनैतिक कार्य का एक ही परख और कसौटी है : क्या उससे आम लोगों का जीवन स्तर बढ़ रहा है कि नहीं ? क्या उससे लोगों को बेहतर ज़िन्दगी मिल रही है कि नहीं ? …
Read More »बाल यौन अत्याचार : नए सिरे से एक बहस
Sexual torture in children: a fresh debate यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012, (POCSO ) अधिनियम, के तहत मुंबई में गठित अदालत की एक स्पेशल जज ने पिछले दिनों एक अहम फैसला सुनाया। अपने फैसले में सुश्री भारती काले ने उस यौन अत्याचार (Sexual harassment) के उस अभियुक्त को जमानत देने से भी मना किया जिसने पांच साल …
Read More »पूछता है भारत – रिया को जमानत मिलने की खबर पिछले पृष्ठों पर कम जगह में क्यों छपी ?
रिया चक्रवर्ती को जमानत के बड़े परिप्रेक्ष्य | Big meaning of bail to Rhea Chakraborty कुछ टीवी चैनलों, और लगभग भोंकने काटने के अन्दाज में चिल्लाने वाले टीवी एंकरों ने सुशांत सिंह की दुखद मृत्यु (Tragic death of Sushant Singh) को जानबूझ कर सनसनीखेज बनाया था। यह कहना सही नहीं होगा कि रिया चक्रवर्ती को मिली जमानत (Rhea Chakraborty gets …
Read More »मीडिया संस्थानों के नाम खुला पत्र, आपदा में अवसर न तलाशें, पत्रकारों की सेलरी न मारें
भोपाल, 06 अक्तूबर 2020. इंडियन जर्नलिस्ट यूनियन के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य लज्जाशंकर हरदेनिया, एवं इंडियन जर्नलिस्ट यूनियन सदस्य राजु कुमार, ने मीडिया संस्थानों के नाम खुला पत्र लिखकर आपदा में अवसर न तलाशने को कहा है। पत्र का मजमून निम्न है मीडिया संस्थानों के नाम खुला पत्र दिनांक: 06 अक्टूबर, 2020 प्रिय, 24 मार्च 2020 के बाद अपने देश के …
Read More »संजय घोष मीडिया अवार्ड-2020 की घोषणा
Announcement of Sanjay Ghosh Media Award-2020 नई दिल्ली 27 सितंबर 2020, दिल्ली स्थित एक गैर-लाभकारी संगठन चरखा डेवलपमेंट कम्युनिकेशन नेटवर्क ने “संजय घोष मीडिया अवार्ड -2020” में आवेदन की घोषणा की है। यह उन लेखकों के लिए एक मंच प्रदान करेगा जो ग्रामीण महिलाओं की छिपी प्रतिभा को उजागर करने का साहस रखते हैं। कुल पांच महीनों के लिए, पांच …
Read More »अमेरिका के हालात से अपने हालात की तुलना कर लें, वहां जो हो रहा है,हू-ब-हू भारत में वही हो रहा है
Compare your situation with the situation in America, what is happening there is happening exactly in India. अमेरिका के हालात से अपने हालात की तुलना कर लें। वहां जो हो रहा है,हू-ब-हू भारत में वही हो रहा है। सिर्फ मृतकों की संख्या वहां 81 हजार पार है। बेरोज़गार दस करोड़। हमारे यहां आंकड़े सच बोल रहे हैं? वहां भी गरीब …
Read More »कहानी अधूरी छोड़कर जाने वाला नायक इरफान ख़ान
The protagonist, leaving the story incomplete, Irrfan Khan “दुख सबको माँजता है / और चाहे स्वयं सबको मुक्ति देना वो न जाने / किन्तु जिनको माँजता है/ उन्हें ये सीख देता है कि सबको मुक्त रखे” – अज्ञेय नई दिल्ली, 29 अप्रैल 2020. जैविक बीमारी कोरोना नें हमें हमारे दुख में भी अकेला कर दिया है। अपने-अपने घरों में रहते …
Read More »जब-जब यह सोच सरकार बनाती है विचारों का खुलापन सीलेपन की बदबू से घिर जाता है,
इतिहास, शिक्षा, साहित्य और मीडिया। (History, education, literature and media । ) ये चार ऐसे शक्तिशाली हथियार हैं, जो किसी भी समाज को लंबे समय तक कूपमंडूक और बौरा देने की क्षमता रखते हैं। युद्ध में हुई क्षति के घाव तो देर-सबेर भर जाते हैं, लेकिन ज़रा बताइये कि उन घावों जख्मों का क्या किया जाए, जो मनुस्मृतियों, वेद पुराण …
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