“श्रीमान हम आपको इस आलेख के कोई पैसे नहीं दे सकते। सहयोग के लिए सम्पादक के धन्यवाद सहित सादर।“ किसी स्वतंत्र पत्रकार के लिए उसके किसी आलेख पर यह जवाब अब आम हो चुका है। स्वतंत्र पत्रकार ही नहीं किसी न किसी संस्थान से जुड़े बहुत से पत्रकार भी कोरोना के दौरान अपनी नौकरी खोने के बाद अब उस दिन …
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“इंडियाज़ डॉटर-सेक्स, वोईलेंस और वुमेन : बाज़ार का सबसे ज्यादा बिकाऊ माल”
“India’s Daughter-Sex, Violence and Women: Market’s Most Selling Merchandise” India’s daughter documentary review in Hindi अरगला पत्रिका के संपादक और जनवादी कवि अनिल पुष्कर कवीन्द्र का यह लेख 08 मार्च 2015 को हस्तक्षेप पर प्रकाशित हुआ था, पाठकों के लिए पुनर्प्रकाशन दरअसल ये बाज़ार उन मुल्कों में अपनी घुसपैठ कर चुके हैं जहां तमाम तरह की पारम्परिक बंदिशें, रिवाज, समाज …
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