वित्त मंत्री और सरकार के आंकड़ों और जुमलों की बाजीगरी छोड़ दें। मीडिया के चीखने वाले हवा हवाई जड़ जमीन से कटे पत्रकारों को भी छोड़ें। नॉन ऑर्गेनिक जनविरोधी बुद्धिजीवी और खासकर अर्थशास्त्री अपनी विशेषज्ञता और भाषाई दक्षता से आम जनता और देश को गुमराह करने में किसी से पीछे नहीं हैं। सत्ता के टुकड़ों पर पलने वाले लोग दलितों, …
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