“अमिट संबंध” : आत्मा-परमात्मा | “Indelible relation”: soul-divine वसु बहती नद्य-नीलिमा मैं, तुम अम्ब धवल विस्तार प्रिय | शीशोद्गम श्यामल उर्मि मैं, तुम नीलकंठ कामारि
Tag: समीक्षा ठाकुर की कविता
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