“अमिट संबंध” : आत्मा-परमात्मा | “Indelible relation”: soul-divine वसु बहती नद्य-नीलिमा मैं, तुम अम्ब धवल विस्तार प्रिय | शीशोद्गम श्यामल उर्मि मैं, तुम नीलकंठ कामारि प्रिय || तुम अम्ब धवल विस्तार प्रिय || मैं बहुल वर्ण खग-मृग विचरित, तुम अमिट सकल संसार प्रिय | मैं श्वेत-छवि द्वि-ध्रुव-ध्वनि हूँ , तुम महाखण्ड आकार प्रिय || तुम अम्ब धवल विस्तार प्रिय …
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