आज 19 फरवरी नामवर सिंह की पुण्यतिथि पर विशेष 19 February, Today in History | 19 फरवरी, इतिहास में आज का दिन Today special on the death anniversary of Namvar Singh बुद्धिजीवी और कलाकार के लिए मुख्य चीज है उसके आदर्श। वह उनके साथ कोई समझौता नहीं करना चाहता। सवाल यह है नामवर सिंह के आदर्श क्या थे ? What …
Read More »Tag Archives: साहित्य
उर्दू की पहली पत्रिका चूड़ियों के शहर फिरोजाबाद से निकली
एक किस्सा नायाब | फिरोजाबाद का साहित्यिक इतिहास | उर्दू साहित्य का इतिहास उर्दू की पहली पत्रिका फिरोजाबाद से निकली First Urdu magazine published from Firozabad फिरोजाबाद को चूड़ियों का शहर कहते हैं लेकिन इस शहर में साहित्य की खनक हमेशा से रही है। बहुत कम लोगों को इस बात का इल्म है कि उर्दू की पहली पत्रिका का प्रकाशन …
Read More »एक पत्रिका के पृष्ठों पर बोलते साहित्य जगत पर दृष्टिपात
Arun Maheshwari on review of Aalochana पांच दिन पहले ‘आलोचना’ पत्रिका का 62वां (अक्तूबर-दिसंबर 2019) अंक मिला। कोई विशेषांक नहीं, एक सामान्य अंक। आज के काल में जब पत्रिकाओं के विशेषांकों का अर्थ होता है कोरा पिष्टपेषण, एक अधकचरी संपादित किताब, तब किसी भी साहित्यिक पत्रिका का साधारण कविता, कहानी, आलोचनात्मक निबंधों, समीक्षाओं से तैयार किया गया ‘सामान्य’ कहलाने वाला …
Read More »चलता चल संभलना सीख पेज से ऑनलाइन कार्यक्रम
चलता चल संभलना सीख पेज से ऑनलाइन कार्यक्रम “कवि, कविता और हम” शीर्षक से अंतर्राष्ट्रीय कवियों के साथ एक शाम साहित्य समाचार Literature news नई दिल्ली, 23 सितंबर 2020. चलता चल और संभालना सीख पेज के माध्यम से एक ऑनलाइन कवि सम्मेलन का आयोजन गूगल मीट पर आगामी 27 सितंबर 2020 को किया जा रहा है। इस ऑनलाइन कवि सम्मेलन …
Read More »हस्तक्षेप साहित्यिक कलरव में इस रविवार प्रख्यात आलोचक “मधुरेश” की वार्ता
Talk will be telecast by renowned Hindi critic Madhuresh on Sunday, September 6, 2020 at 4 pm in the literary section of Youtube channel of hastakshep.com नई दिल्ली, 03 सितंबर 2020. हस्तक्षेप डॉट कॉम के यूट्यूब चैनल के साहित्यिक कलरव अनुभाग में इस रविवार 6 सितंबर 2020 को सायं 4 बजे हिंदी के प्रख्यात आलोचक मधुरेश की वार्ता का प्रसारण …
Read More »हिंदी साहित्य का यह दुस्समय है हिंदी भाषा और साहित्य के सत्यानाश की भी राजनीति है
हिंदी साहित्य का यह दुस्समय है। राजनीति, हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने की है और हिंदी भाषा और साहित्य के सत्यानाश की भी राजनीति है। Hindi literary magazines have already closed हिंदी की साहित्यिक पत्रिकाएं पहले ही बंद कर दी गईं। लघु पत्रिकाएं किसी तरह निकल रही हैं अजब जिजीविषा और गज़ब प्रतिबद्धता के साथ, जिन्हें न सत्ता का समर्थन है …
Read More »समयांतर का जून अंक और पंकज बिष्ट का लेख इसका बच्चस, उसका बच्चा?
June issue of Samayantar and article by Pankaj Bisht साहित्य और पत्रकारिता की क्या भूमिका होनी चाहिये (What should be the role of literature and journalism), इसे समझने के लिए युवाजनों को यह अंक जरूर पढ़ना चाहिए। 2000 से मैं लगातार लिखता रहा हूँ समयांतर में। माननीय प्रभाष जोशी और ओम थानवी की परवाह न करते हुए जनसत्ता की नौकरी …
Read More »कहानी अधूरी छोड़कर जाने वाला नायक इरफान ख़ान
The protagonist, leaving the story incomplete, Irrfan Khan “दुख सबको माँजता है / और चाहे स्वयं सबको मुक्ति देना वो न जाने / किन्तु जिनको माँजता है/ उन्हें ये सीख देता है कि सबको मुक्त रखे” – अज्ञेय नई दिल्ली, 29 अप्रैल 2020. जैविक बीमारी कोरोना नें हमें हमारे दुख में भी अकेला कर दिया है। अपने-अपने घरों में रहते …
Read More »जब-जब यह सोच सरकार बनाती है विचारों का खुलापन सीलेपन की बदबू से घिर जाता है,
इतिहास, शिक्षा, साहित्य और मीडिया। (History, education, literature and media । ) ये चार ऐसे शक्तिशाली हथियार हैं, जो किसी भी समाज को लंबे समय तक कूपमंडूक और बौरा देने की क्षमता रखते हैं। युद्ध में हुई क्षति के घाव तो देर-सबेर भर जाते हैं, लेकिन ज़रा बताइये कि उन घावों जख्मों का क्या किया जाए, जो मनुस्मृतियों, वेद पुराण …
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