Eroticism in Indian literature साहित्य में एक दौर ऐसा भी आया था जब कहा गया कि ‘प्रत्येक बात को कहने दो’। इस नारे के तहत सेक्स के संदर्भ में जितने भी विवरण थे, सबको खुलकर बता दिया गया। यह कार्य लंबे समय से श्रृंगार-साहित्य और रीतिवादी साहित्य करता रहा है। सेक्स का वर्णन अब सभ्य, सुसंस्कृत विवरणों के रूप में …
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