भगवान सिंह की ‘महात्मा गांधी का साहित्य और भाषा चिंतन’ : महात्मा गांधी के चिंतन में तुलसीदास. शिक्षा एवं भाषा के संबंध में गांधीजी के विचार. गांधी की राजनीति में सत्याग्रह, रामराज्य और चरखा का क्या महत्व है
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बुके नहीं बुक दीजिए : ‘कलम नो कार्निवल’ पुस्तक मेले के उद्घाटन समारोह में क्या बोले पीएम मोदी?
अहमदाबाद में नवभारत साहित्य मंदिर द्वारा आयोजित ‘कलम नो कार्निवल’ पुस्तक मेले के उद्घाटन समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन का मूल पाठ ‘कलम
सनातनी मथुरा और संत तुलसीदास
सनातनी मतलब बंद गली के निवासी! यह जनश्रुति है संत तुलसीदास कभी मथुरा आए थे और मथुरा के किसी प्रसिद्ध मंदिर में दर्शन करने गए,
गालियाँ और कु-संस्कृति : अनुभूति की शक्ति मिटा देती हैं गालियां
पुनरुत्थानवाद की खूबी है कि वह पुराने असभ्य सामाजिक रूपों, भाषिक प्रयोगों, आदतों या संस्कारों को बनाए रखता है। गालियां उनमें से एक है। हिन्दीभाषी
आचार्य जगन्नाथ प्रसाद ‘भानु’ : हिंदी के प्रथम छंद शास्त्री और हिंदी के सर्वप्रथम ‘महामहोपाध्याय’
आचार्य जगन्नाथ प्रसाद ‘भानु’ की जीवनी | Biography of Acharya Jagannath Prasad ‘Bhanu’ हिंदी साहित्य के आधुनिक युग के प्रारंभिक वर्षों में साहित्य नियमन के
इस बुलडोजर समय में साहित्य ही नहीं संसार का लोकतंत्र भी खतरे में है- विष्णु नागर
साहित्य के लोकतंत्र के लिए असहमति अति आवश्यक – विष्णु नागर हिन्दू कॉलेज में ‘पुस्तक समीक्षा-क्या, क्यों और कैसे’ पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन
बोलियों का साहित्य कहाँ गायब हो गया?
Where did the literature of dialects disappear? बांग्ला में दो तरह की भाषा प्रचलित रही है। बंकिम चंद्र की तत्सम संस्कृतमुखी बांग्ला (Bankim Chandra’s Tatsam
जानिए साहित्य में जीवन मूल्यों का महत्व क्या है?
What is the importance of life values in literature? भारतीय समाज में मूल्यों का प्रमुख स्रोत क्या है? धर्म की जीवन मूल्यों के प्रति क्या
इतिहास की प्रासंगिकता | हिंदी साहित्येतिहास की समस्याएं – पहला एपिसोड
Problems of Hindi Literary History – Episode 1 – Relevance of History इतिहास में कितने काल होते हैं? सामान्यीकरण क्या है इतिहास लेखन में सामान्यीकरण
Tryst With Destiny देखनी चाहिए, हर चीज में आदमी की पूंछ नहीं देखी जाती
Tryst with destiny review in Hindi | Tryst with destiny Hindi review Tryst with Destiny Explained | Tryst with Destiny sonyliv review Movie Review :
टूट गया भारतीय समाज, सिनेमा और साहित्य का आईना
दिलीप कुमार निधन | Dilip Kumar passed away नहीं रहे हमारे प्रियतम अभिनेता दिलीप कुमार। सौ साल पूरे वे नहीं कर सके, अफसोस। फिरभी लम्बी
नक्षत्र साहित्य और नक्षत्र साहित्यकार
हिंदी में ऐसे लेखक-आलोचक रहे हैं, और आज भी हैं, जो कभी सत्ता की जनविरोधी नीतियों और जुल्म के खिलाफ नहीं बोलते हैं और नही
ज्ञान की खोज में : महापंडित राहुल सांकृत्यायन
राहुल सांकृत्यायन की जयंती पर विशेष | Special on Mahapandit Rahul Sankrityayan’s birth anniversary (जन्म : 9 अप्रैल 1893) 9 अप्रैल – इतिहास में आज
नामवर सिंह के मायने
आज 19 फरवरी नामवर सिंह की पुण्यतिथि पर विशेष 19 February, Today in History | 19 फरवरी, इतिहास में आज का दिन Today special on
उर्दू की पहली पत्रिका चूड़ियों के शहर फिरोजाबाद से निकली
एक किस्सा नायाब | फिरोजाबाद का साहित्यिक इतिहास | उर्दू साहित्य का इतिहास उर्दू की पहली पत्रिका फिरोजाबाद से निकली First Urdu magazine published from
एक पत्रिका के पृष्ठों पर बोलते साहित्य जगत पर दृष्टिपात
Arun Maheshwari on review of Aalochana पांच दिन पहले ‘आलोचना’ पत्रिका का 62वां (अक्तूबर-दिसंबर 2019) अंक मिला। कोई विशेषांक नहीं, एक सामान्य अंक। आज के
चलता चल संभलना सीख पेज से ऑनलाइन कार्यक्रम
चलता चल संभलना सीख पेज से ऑनलाइन कार्यक्रम “कवि, कविता और हम” शीर्षक से अंतर्राष्ट्रीय कवियों के साथ एक शाम साहित्य समाचार Literature news नई
हस्तक्षेप साहित्यिक कलरव में इस रविवार प्रख्यात आलोचक “मधुरेश” की वार्ता
Talk will be telecast by renowned Hindi critic Madhuresh on Sunday, September 6, 2020 at 4 pm in the literary section of Youtube channel of
हिंदी साहित्य का यह दुस्समय है हिंदी भाषा और साहित्य के सत्यानाश की भी राजनीति है
हिंदी साहित्य का यह दुस्समय है। राजनीति, हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने की है और हिंदी भाषा और साहित्य के सत्यानाश की भी राजनीति है। Hindi
समयांतर का जून अंक और पंकज बिष्ट का लेख इसका बच्चस, उसका बच्चा?
June issue of Samayantar and article by Pankaj Bisht साहित्य और पत्रकारिता की क्या भूमिका होनी चाहिये (What should be the role of literature and
कहानी अधूरी छोड़कर जाने वाला नायक इरफान ख़ान
The protagonist, leaving the story incomplete, Irrfan Khan “दुख सबको माँजता है / और चाहे स्वयं सबको मुक्ति देना वो न जाने / किन्तु जिनको