लगभग तीन साल पहले अपनी एक ट्रेन यात्रा में हमने इस उपन्यास को पढ़ने की कोशिश की थी। उसे इसलिये महज एक कोशिश ही कहेंगे, क्योंकि उपन्यास की तरह की एक रचनात्मक विधा में किये गये किसी भी गंभीर काम को तब तक सही ढंग से नहीं पढ़ा जा सकता है, जब तक आप इतने इत्मीनान में न हों जिसमें …
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