Tag Archives: हिंदी
हिंदी को लेकर एक बार फिर अनावश्यक विवाद
Ajay Devgn vs Kiccha Sudeep: Hindi national language ! देश के गृहमंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) ने कुछ दिनों पहले हिंदी में कामकाज करने पर बल (Emphasis on working in Hindi) दिया था, जिस पर बहुत से लोगों ने आपत्ति जतलाई थी। अब एक बार फिर हिंदी को लेकर अनावश्यक विवाद खड़ा किया गया है। हिंदी फिल्मों के …
Read More »वेबोक्रेसी में विश्व हिंदी दिवस माने हिंदी के पराभव का आख्यान
विश्व हिंदी दिवस 10 जनवरी पर विशेष | Special on World Hindi day 10 january आज विश्व हिंदी दिवस (World Hindi Day 2022) है। यह लोकतंत्र के पराभव और वेबोक्रेसी के उत्थान का युग है। यह बौने को महान और महान को बौना बनाने का युग है। इस दिवस पर कम से कम एक पोस्ट यूनीकोड हिंदी में किसान समस्या …
Read More »बिमल रॉय : हिंदी सिनेमा को नई दिशा देने वाला निर्देशक
हिंदी सिनेमा को बिमल रॉय का योगदान बिमल रॉय की पुण्यतिथि 8 जनवरी पर विशेष (Special on 8 January on Bimal Roy’s death anniversary) एक ऐसे दौर में जब हिंदी फ़िल्मों में धार्मिक और ऐतिहासिक विषयों का बोलबाला था, बिमल रॉय ने अपने आप को सिर्फ़ सामाजिक और उद्देश्यपूर्ण फ़िल्मों तक सीमित किया। अपनी फ़िल्मों में किसान, मध्यवर्ग और महिलाओं …
Read More »इतिहास की प्रासंगिकता | हिंदी साहित्येतिहास की समस्याएं – पहला एपिसोड
Problems of Hindi Literary History – Episode 1 – Relevance of History इतिहास में कितने काल होते हैं? सामान्यीकरण क्या है इतिहास लेखन में सामान्यीकरण की भूमिका? इतिहास जानने के स्रोत कौन कौन से हैं? इतिहास की विषय वस्तु क्या है? Hindi Sahitya Ka Itihas और उसका विभाजन हिंदी साहित्य का संक्षिप्त इतिहास M.A. Hindi Literature हिंदी साहित्य का इतिहास …
Read More »लोकमान्य तिलक की दृष्टि में हिंदी एवं वर्तमान हिंदी अनुसंधान कार्य की दिशा
Direction of Hindi and current Hindi research work in the opinion of Lokmanya Tilak किसी भी राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया की सबसे कमज़ोर कड़ी उसके वर्तमान द्वारा अतीत की उपेक्षा होती है. राष्ट्र – निर्माण की वैचारिकी के संदर्भ में इस समस्या को गहराई के साथ समझा जा सकता है. अतीत के विचारकों के संदर्भ में यदि इस समस्या पर …
Read More »हिंदी आज़ादी की लड़ाई की राष्ट्रभाषा थी, जो सत्ता की राजभाषा बन गयी?
Hindi Diwas : Hindi was the national language of the freedom struggle, which became the official language of power? What were the objectives of making Hindi the national language? Photo by Ketut Subiyanto on Pexels.com हिंदी दिवस पर रस्म अदायगी (Rituals on Hindi Diwas) करने वालों से निवेदन है कि भारत के सभी प्रान्तों के मनीषियों और विशेष तौर पर …
Read More »हिंदी, हिन्दू और हिंदुस्तान के नारे से हिंदी अब किसकी भाषा है? अपने गिरेबान में झाँककर देखें
हिंदी में कोलकाता, महाराष्ट्र, केरल, हैदराबाद जैसे गढ़ों में हिंदी में जीवन भर काम करने वाले लोगों को कोई पहचान नहीं मिलती। हिंदीभाषियों को भी नहीं। इसीलिए हिंदी पूंजी के खिलौने और हथियार में तब्दील है। हिंदी हिन्दू हिंदुस्तान के नारे के बाद हिंदी अब किसकी भाषा है? 60 के दशक में हिंदी के चर्चित कवि और करीब 5 दशक …
Read More »हिंदी आम लोगों की भाषा नहीं है : जस्टिस काटजू का लेख
हिंदी लोगों की भाषा नहीं है जस्टिस मार्कंडेय काटजू हिंदी एक कृत्रिम रूप से बनाई गई भाषा है, और लोगों की भाषा नहीं है। आम आदमी की भाषा (भारत के बड़े हिस्से में) हिंदुस्तानी है (जिसे खड़ी बोली भी कहा जाता है)। हिंदुस्तानी और हिंदी में क्या अंतर है? एक उदाहरण देने के लिए, हिंदुस्तानी में हम कहते हैं उधर …
Read More »अनसुनी आवाज़ : एक संदर्भ ग्रंथ, जिसमें पिछले तीस सालों का भारत है
पाठकीय दुनिया में दो तरह की पत्रिकाएं दिखायी पड़ती हैं। एक, जो व्यावसायिक हैं, दूसरी, जो ध्येयपरक हैं। व्यावसायिक पत्रिकाओं का योगदान (Contribution of professional journals) यह है कि वे व्यवसाय-वृत्ति के अंतर्गत पाठकों को साहित्य, संस्कृति, राजनीति आदि से संबंधित सूचनाएं और सृजन उपलब्ध कराती हैं जिसमें लेखक-समूह का एलिट क्लास लगा होता है और इनके सम्पादक अप्रतिबद्ध किंतु …
Read More »मोदी सरकार के हिन्दी प्रेम के खतरे और सीमाएं
Dangers and limitations of Modi government’s Hindi love हिंदी दिवस पर विशेष – Special on Hindi Diwas लेखकों-बुद्धिजीवियों में एक बड़ा तबका है जो हिन्दी के नाम पर सरकारी मलाई खाता रहा है। इनमें वे लोग भी हैं जो कहने को वाम हैं, इनमें वे भी हैं जो सोशलिस्ट हैं, ये सब मोदी के हिन्दीप्रेम के बहाने सरकारी मलाई के …
Read More »रांगेय राघव : एक अहिंदीभाषी जिसने हिंदी को समृद्ध किया
हिंदी साहित्य के ‘शेक्सपियर‘ नाम से भी जाने जाते हैं रांगेय राघव Rangeya Raghav is also known as ‘Shakespeare’ of Hindi literature रांगेय राघव Rangeya Raghav (17 जनवरी, 1923 – 12 सितंबर, 1962) हिंदी के उन चंद विशिष्ट और बहुमुखी प्रतिभावान रचनाकारों में से एक हैं, जो बहुत ही कम उम्र लेकर इस संसार में आए, लेकिन जिन्होंने अल्पायु में …
Read More »हिंदी साहित्य का यह दुस्समय है हिंदी भाषा और साहित्य के सत्यानाश की भी राजनीति है
हिंदी साहित्य का यह दुस्समय है। राजनीति, हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने की है और हिंदी भाषा और साहित्य के सत्यानाश की भी राजनीति है। Hindi literary magazines have already closed हिंदी की साहित्यिक पत्रिकाएं पहले ही बंद कर दी गईं। लघु पत्रिकाएं किसी तरह निकल रही हैं अजब जिजीविषा और गज़ब प्रतिबद्धता के साथ, जिन्हें न सत्ता का समर्थन है …
Read More »