ईद का रंग, मुसाफ़िरों के संग

EID with migrants

उनका जो फ़र्ज़ है वो अहल ए सियासत जानें मेरा पैग़ाम मोहब्बत है जहाँ तक पहुंचे जिगर मुरादाबादी साहब के इस शेर की चलती फिरती मिसाल बीते दिनों उनकी कर्म भूमि गोंडा में देखने को मिली, जब ईद के त्यौहार को शहर के कुछ नौजवानों ने एक अलग रंग देने की ठानी। कोरोना महामारी और …

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