Today there is a threat to freedom of expression in India, the culture of hate needs to be uprooted बाबा साहेब अंबेडकर के 129वें जन्म दिन पर आपका हार्दिक स्वागत और सभी को ढेर सारी शुभकामनाएं !! इतने वर्षों में ये पहली बार है कि जब दिल्ली के संसद मार्ग पर अम्बेडरवादियों की भीड़ नहीं होगी और लोग संसद भवन …
Read More »Tag Archives: Ambedkar Jayanti
अंबेडकर और लोहिया के दर्शन में जाति
अंबेडकर और लोहिया की वैचारिक समानताएं | Ambedkar and Lohia’s ideological similarities लोहिया और डॉ. बी.आर. अंबेडकर के विचार (Lohia and Dr. BR Ambedkar’s thoughts), क्रमशः, नीची जातियों और दलितों के आंदोलनों की प्रेरक शक्ति रहे हैं। लोहिया और अंबेडकर समकालीन थे एवं जातिवाद का विरोध दोनों का एजेंडा था। यह आश्चर्यजनक है कि इसके बावजूद दोनों की वैचारिक समानताएं …
Read More »पहले से ही संकट में घिरे अंबेडकरवाद को और संकटग्रस्त करने जा रहा है कोरोना
कोरोना से और संकटग्रस्त हो सकता है अंबेडकरवाद | Ambedkarism may be further threatened by Corona आज 14 अप्रैल है। इस दिन भारत समेत पूरे विश्व में अंबेडकर जयंती (AMBEDKAR JAYANTI) हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है। किन्तु इस बार हर्षोल्लास सिरे से गायब रहेगा। वजह कोरोना है! The whole world is terrorized by Corona and following the ‘Social Distance’ to …
Read More »रक्त के मिश्रण से ही अपनेपन की भावना पैदा होगी- डॉ. अंबेडकर
डॉ. अम्बेडकर की जयंती के अवसर पर। On the occasion of Dr. Ambedkar’s birth anniversary डॉ. अंबेडकर का जीवन परिचय। Dr. Ambedkar’s life in Hindi डॉ. अंबेडकर का जन्म (14 अप्रैल 1891) से अस्पृश्य थे। अंबेडकर अभावों और अस्पृश्यता के साथ जुड़े कलंक से जूझते हुए ही पले बढ़े। उच्च शिक्षा प्राप्त कर ऊंचे पदों पर पहुँच जाने पर भी …
Read More »जाति के विनाश के बाद ही मिलेगी सामाजिक और आर्थिक आज़ादी
The destruction of the institution of caste is the basic foundation of Dr. Ambedkar’s thinking and philosophy. अप्रैल का महीना (Month of april) डॉ. बी. आर. आंबेडकर के जन्म का महीना है। 14 अप्रैल 1891 के दिन उनका जन्म हुआ था। इस अवसर पर उनकी राजनीति की बुनियादी समझ (Basic understanding of Dr। B। R। Ambedkar’s politics) को एक बाद …
Read More »बाबा साहब की अनदेखी का प्रतिफल : घुटन भरा वर्तमान और आशंका भरा कल
Ignoring Baba Saheb: A stuffy present and a feared tomorrow मौजूदा समय विडम्बना का समय है। बिना किसी अतिशयोक्ति के कहा जाए तो; देश और समाज एक ऐसे वर्तमान से गुजर रहा है जिसमे प्राचीन और ताजे इतिहास में, अंग्रेजो की गुलामी से आजादी के लिए लड़ते-लड़ते जो भी सकारात्मक उपलब्धि हासिल की गयी थी वह दांव पर है। समाज …
Read More »अम्बेडकर जयंती पर डॉ. आनंद तेलतुंबडे की गिरफ्तारी : एक राष्ट्रीय शर्म की बात
Dr. Anand Teltumbde’s arrest on Ambedkar Jayanti: a national shame नई दिल्ली, 13 अप्रैल 2020. देश के दस प्रति,ठित राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने क वक्तव्य जारी कर अम्बेडकर जयंती पर डॉ. आनंद तेलतुंबडे की गिरफ्तारी को एक राष्ट्रीय शर्म की बात कहा है। वक्तव्य को प्रो. चमनलाल ने अपनी एफबी टाइमलाइन पर पोस्ट किया है, जिसका मजमून निम्न है – Jai …
Read More »अमीर भारत की सत्ता पर कब्ज़ा करने और बनाए रखने की लड़ाई सस्ती नहीं हो सकती
कोरोना महामारी : प्रतिक्रांति की गहरी नींव : Corona Epidemic: Deep Foundations of Counter-Revolution भारत में बीसवीं सदी का अंतिम दशक ख़त्म होते-होते समस्त मुख्यधारा राजनीतिक पार्टियों, मंचों और माध्यमों से गरीबी की चर्चा समाप्त हो गई. देश की शासक जमात के बीच यह तय माना गया कि अब देश में गरीबी नहीं रही/नहीं रहेगी. जो गरीबी इधर/उधर दिखाई देती है …
Read More »कोरोना : संकट की घड़ी, पर डॉ. अंबेडकर ने क्यों कहा था हिन्दू कभी एकजुट नहीं होते, वे एकजुट होते हैं तब जब हिन्दू मुस्लिम –मुस्लिम दंगे होते हैं
कोरोना वायरस : संकट की इस घड़ी में प्रभुवर्ग से प्रत्याशा ! Corona Virus: Anticipation from the sovereign in this hour of crisis! चीन से उपजा कोरोना वायरस मानव जाति के समक्ष एक गंभीर संकट बनकर खड़ा हो गया है, इस बात को खुद विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूटएचओ) ने स्वीकार किया है। इस वायरस से पूरे विश्व में आर्थिक, शैक्षिक, …
Read More »ऐसा नहीं है कि असहिष्णुता सिर्फ सवर्णों की होती है, बाबासाहेब जैसे अद्भुत विद्वान राजनेता के अनुयायी भी कम असहिष्णु नहीं
वरिष्ठ पत्रकार पलाश विश्वास का यह आलेख हस्तक्षेप पर मूलतः April 19, 2016 को प्रकाशित हुआ था। पाठकों के लिए पुनर्प्रकाशन हम दीपा कर्मकार की उपलब्धियों (achievements of Deepa Karmakar) पर लिख नहीं रहे हैं। इस बारे में अगर आपकी दिलचस्पी है तो मीडिया के सौजन्य से आपको काफी कुछ जानकारी अब तक मिली होगी, जिसे हम दोहराना नहीं चाहते। …
Read More »अंबेडकर की नजर में वास्तविक स्वतंत्रता का अर्थ है सभी किस्म के विशेषाधिकारों का खात्मा
We should see Baba Saheb Bhimrao Ambedkar as a modern mythologist. बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर को हमें आधुनिक मिथभंजक के रूप में देखना चाहिए। भारत और लोकतंत्र के बारे में परंपरावादियों, सनातनियों, डेमोक्रेट, ब्रिटिश बुद्धिजीवियों और शासकों आदि ने अनेक मिथों का प्रचार किया है। ये मिथ आज भी आम जनता में अपनी जड़ें जमाए हुए हैं। बाबासाहेब ने भारतीय …
Read More »इसका, उसका, किसका मीडिया
31 जनवरी : बाबा साहब भीम राव अंबेडकर की प्रकाशित `मूकनायक` पत्र की 100वीं साल गिरह पर विशेष 31 January: Special on 100th year of Baba Saheb Bhim Rao Ambedkar published ‘Mooknayak’ newspaper बाबा साहब भीम राव अंबेडकर ने 31 जनवरी 1920 को मराठी पाक्षिक ‘मूकनायक’ का प्रकाशन प्रारंभ किया था. सौ साल पहले पत्रकारिता पर अंग्रेजी हुकूमत का दबाव …
Read More »दलित मीडिया के उत्थान का एकमेव उपाय : विज्ञापन बाज़ार में डाइवर्सिटी
बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर द्वारा सम्पादित –प्रकाशित मूकनायक के सौ वर्ष होने के अवसर पर विशेष लेख Special article on the occasion of hundred years of Mooknayak edited and published by Baba Saheb Dr. Bhimrao Ambedkar The only way to uplift Dalit media: Diversity in the advertising market आगामी 31 जनवरी को दलित पत्रकारिता के सौ साल पूरे (100 …
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