कामरेड एके राय (Comrade AK Roy) नहीं होते तो हम चाहे जो होते, पत्रकार नहीं होते। इलाहाबाद विश्वविद्यालय को खारिज करके जेएनयू तक दौड़ रहे थे अकादमिक महत्वाकांक्षा के खातिर। कोयलांचल में जाकर एके राय के काम से जुड़ने की ख्वाहिश दैनिक आवाज धनबाद तक ले गयी। सौजन्य उर्मिलेश (Urmilesh)। मदन कश्यप (Madan Kashyap) पहले से आवाज में थे। सम्पादक …
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