हाँ मैं बेशर्म हूँ….रवायतें ताक पर रख कर खुद अपनी राह चलती हूँ
हाँ मैं बेशर्म हूँ.... झुंड के साथ गोठ में शामिल नहीं होती रवायतें ताक पर… Read More
11 महीना ago
हाँ मैं बेशर्म हूँ.... झुंड के साथ गोठ में शामिल नहीं होती रवायतें ताक पर… Read More
उफ़्फ़ दिसम्बर की बहती नदी से बदन पर लोटे उड़ेलने की उलैहतें .. इकतीस है… Read More
रोज दिखती हैं मुझे अखबार सी शक्लें.... गली मुहल्ले चौराहों पर इश्तेहार सी शक्लें... शिकन… Read More