NCR Chapter One: Film review कोई भी खेल को जीतने के लिए दो चीजें का होना जरूरी है। पहली तैयारी और दूसरी किस्मत। जब तैयारी और किस्मत दोनों ही साथ ना दे तो एक ही रास्ता रह जाता है बेईमानी। निर्देशक सैफ़ बैद्य की हालिया रिलीज़ फ़िल्म एनसीआर चैप्टर वन की शुरुआत इसी संवाद से होती है। लेकिन निर्देशक खुद …
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अंधेरे खंडहरों में बिलबिलाती जिंदगियां ¬गुलाबो सिताबो पर क्षण भर
Man’s physical impoverishment also causes his mental impoverishment. गुलाबो सिताबो हिंदी फिल्म की समीक्षा | Gulabo sitabo hindi movie review आदमी की भौतिक दरिद्रता उसकी मानसिक दरिद्रता का भी कारण बनती है। वह अपने अस्तित्व के लिये ही हर प्रकार की लूट-खसोट, कमीनेपन की मानसिकता का शिकार होता है, छोटी-छोटी चालाकियों में ही पूरा जीवन व्यतीत कर देता है। ‘गुलाबो सिताबो’ …
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