देशबन्धु : चौथा खंभा बनने से इनकार अखबार अथवा प्रेस और सत्तातंत्र के जटिल संबंधों (Complex relations of press and power) को समझने की मेरी शुरुआत 1961 में हुई, जब मैं हायर सेकंडरी की परीक्षा देकर ग्वालियर से लौटा और जबलपुर में कॉलेज के प्रथम वर्ष में प्रवेश लेने के साथ-साथ बाबूजी के संचालन-संपादन में प्रकाशित नई दुनिया, जबलपुर (बाद …
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