……लो मैंने फिर डरा दिया अपनी मासूम बच्ची को लड़कों से.. खुली छतों.. खुली हवाओं.. खुली सड़कों से… तीन बरस की उम्र से एहतियात से रह… बता रही हूँ… मैं मजबूर हूँ.. उसे डर-डर के जी.. सिखा रहीं हूँ… सुन तू ड्राइवरों.. सर्वेंटों… मेल टयूशन टीचरों.. से बच.. सतर्क रह… खोल दे गंदे से गंदा सच… उसे रिश्तेदारों से घुलने-मिलने …
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