महामानव के विचार जब हम चढ़ाते हैं ऐसे महामानव पर दो फूल तो डगमगा जाता है…! उनका सिंहासन वे डर जाते हैं कहीं ठप्प न हो जाए उनकी दुकान…!! हम चुपचाप फिर भी उस महामानव के बताए रास्ते पर चलना चाहते हैं…! वे मिटाना चाहते हैं उनकी पहचान और उनके विचारों को भी पर वे बंधे हुए हैं ऐसे विचारों …
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