मज़दूरों की त्रासदी को समर्पित एक रचना। A work dedicated to the tragedy of the workers. तुम दरिद्र हो, भूखे हो, क्यूं रोते हो ? भाग्य की विडंबना है, तर्क आगे माना है । कारण शोध, राष्ट्रद्रोह है, घोर विद्रोह है, तुम्हारी ये हिम्मत कैसे?, तुम्हारी ये ज़ुर्रत कैसे? ज़्यादा बोलोगे, कुछ लिख दूँगा, राष्ट्रद्रोही लिख दूंगा, देशद्रोही लिख दूँगा …
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