इक चाय वाले के हाथ सत्ता लग गयी..उसने कौमों से क़ौम सुलगाई है..मत भूले देस... आज़ादी की रंगत तो अश्फ़ाक के लहू से आई है

इक चाय वाले के हाथ सत्ता लग गयी..उसने कौमों से क़ौम सुलगाई है..मत भूले …

इक चाय वाले के हाथ सत्ता लग गयी..उसने कौमों से क़ौम सुलगाई है..मत भूले देस... आज़ादी की रंगत तो अश्फ़ाक के लहू से आई है