बारूद और वायरस के ढेर पर बैठी इस सभ्यता का 'शैतान' मुस्कुराने लगा है, सरकारें तो कुछ नहीं मानतीं, पर समाज भी क्यों नहीं मानता ?

बारूद और वायरस के ढेर पर बैठी इस सभ्यता का 'शैतान' मुस्कुराने लगा है, स…

बारूद और वायरस के ढेर पर बैठी इस सभ्यता का 'शैतान' मुस्कुराने लगा है, सरकारें तो कुछ नहीं मानतीं, पर समाज भी क्यों नहीं मानता ?