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महाश्वेता देवी

अरण्य की मन महाश्वेता देवी के शब्दों में बहुत खच्चर लेखक थे नवारुण भट्टाचार्य
अपनी भाषा के प्रति बेहद सजग थे नबारुन भट्टाचार्य. महाश्वेता देवी और उनके पुत्र नवारुण भट्टाचार्य बांग्ला के ऐसे मात्र दो साहित्यकार हैं, जो देश पत्रिका, आनंद बाजार पत्रिका समूह और आनंद पब्लिशर्स (Ananda Publishers) में छपे बिना साहित्यकार बने।
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