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Mohammad Khursheed Akram Soz

आह गुलज़ार देहलवी ! जहाँ इंसानियत वहशत के हाथों ज़िबह होती है

आह गुलज़ार देहलवी ! जहाँ इंसानियत वहशत के हाथों ज़िबह होती है

आह गुलज़ार देहलवी ! जहाँ इंसानियत वहशत के हाथों ज़िबह होती है
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