भारत के उत्तराखंड में आजकल बेरोजगार युवा लेखपाल परीक्षा के पेपर लीक होने पर आंदोलन कर रहे हैं, और सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं, और आंदोलन में गिरफ्तार लोगों की रिहाई की मांग कर रहे हैं।
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प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया है
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लेकिन अगर कोई पेपर लीक न होता तो भी कितने उम्मीदवारों का चयन और नियुक्ति होती? 1000 में बमुश्किल एक, क्योंकि आवेदकों की तुलना में बहुत कम नौकरियां हैं।
तो यह स्पष्ट है कि युवा बेरोजगारी के नरक से निकलने के लिए सेना की तरह एक जोखिम भरी नौकरी करना पसंद करते हैं।
इसलिए जहां मुझे आंदोलनकारियों से सहानुभूति है, वहीं मैं यह भी कहना चाहता हूं कि हमारे लोगों, खासकर हमारे युवाओं को अब गंभीरता से सोचना शुरू करना चाहिए कि कैसे एक शक्तिशाली, एकजुट जनसंघर्ष शुरू किया जाए, जिसकी परिणति एक क्रांति में होगी और एक राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्था का निर्माण हो; जिसके तहत तेजी से औद्योगीकरण और आधुनिकीकरण हो, ताकि सभी को अच्छी आय, पौष्टिक भोजन, उचित स्वास्थ्य और अच्छी शिक्षा आदि के साथ नौकरी मिले और बेरोजगारी, जाति और सांप्रदायिकता जैसे हमारे बड़े अभिशापों का विनाश हो।
तेजी से औद्योगीकरण होने पर बड़े पैमाने पर नौकरियां सृजित होती हैं, लेकिन वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था गतिहीन है, या मंदी में भी है।
इसलिए अपने युवाओं को रोजगार मुहैया कराने के लिए हमें एक राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्था बनानी होगी जिसमें तेजी से औद्योगीकरण और आधुनिकीकरण हो। यही हमारा राष्ट्रीय लक्ष्य होना चाहिए।
(लेखक भारत के सर्वोच्च न्यायालय के अवकाशप्राप्त न्यायाधीश हैं।)
बढ़ती बेरोजगारी, पीएसयू का निजीकरण और युवाओं की भविष्य की भूमिका | hastakshep | हस्तक्षेप