The coming generations will be ashamed of the betrayal of the Dalits and the backward!
यूपी में 1989 के बाद जब भी पिछड़ों या दलितों के नेतृत्व में सरकार बनी है वह बिना अल्पसंख्यकों के समर्थन के नहीं बन सकती थी।
Minorities are being targeted due to political envy
आज जब अल्पसंख्यकों को राजनीतिक विद्वेष की वजह से टारगेट किया जा रहा है तब न ही नेतृत्व के स्तर पर और न ही सामाजिक स्तर पर दलित व पिछड़ा वर्ग उनके साथ खड़ा हो रहा है। यह बहुत ही दुःखद है।
उससे भी जायदा परेशानी की बात यह है कि ये वर्ग सांप्रदायिकता फैलाने के औजार बन रहे हैं और इनका नेतृत्व “सॉफ्ट हिंदुत्व” (Soft Hindutva) को अपनाने की कोशिश में और कुछ “लालू यादव” बना दिये जाने के डर से चुप्पी साधे हैं।
सत्ता सदैव किसी की नहीं रहती लेकिन यह व्यवहार विश्वासघात के दर्जे का है और इतिहास जब मूल्यांकन करेगा तो आने वाली पीढ़ियां दलित, पिछड़े लोगों के और उनके नेतृत्व की मौकापरस्ती पर शर्मसार होंगी यह तय है।
पीयूष रंजन यादव
(लेखक सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता हैं)
यह भी पढ़ें –
अखिलेश की बेवफाई से आजम हुए दुखी, शाहनवाज़ आलम ने कहा ये मुसलमानों के साथ धोखा, अखिलेश ने अपनी भावी राजनीति का संकेत दे दिया है
हमें गूगल न्यूज पर फॉलो करें. ट्विटर पर फॉलो करें. वाट्सएप पर संदेश पाएं. हस्तक्षेप की आर्थिक मदद करें