देश कष्ट में है लेकिन मोदी जी मस्त! मोदीजी का कोई बाल बांका नहीं कर पाएगा, क्योंकि…

देश कष्ट में है लेकिन मोदी जी मस्त! मोदीजी का कोई बाल बांका नहीं कर पाएगा, क्योंकि… देश कष्ट में है लेकिन मोदी जी मस्त! मोदीजी का कोई बाल बांका नहीं कर पाएगा, क्योंकि…

मोदीजी का कोई बाल बांका नहीं कर पाएगा, क्योंकि…

हर चीज हास्य और एब्सर्ड में तब्दील कर रहे हैं पीएम! देश कष्ट में है लेकिन मोदी जी मस्ती और परपीडक आनंद ले रहे हैं!

वाह मोदी आह मोदी ! 

मोदीजी जब भी बोलते हैं अद्भुत बोलते हैं, ऐसा तो पहले कभी किसी ने नहीं बोला, निर्मल विचार, निर्मल मन, निर्मल बाबा, गंगा के समान पवित्र और गंदगी से भरा जीवन !

जब भी बोलते हैं वैसे ही बोलते हैं जैसे विज्ञापन में जिंगल बोलते हैं। संसद के लिए चुने गए लेकिन संसद से कोई मोह नहीं  ! पीएम पद के लिए चुने गए, लेकिन पीएम ऑफिस में काम नहीं करते ! मस्त रहते हैं, फकीरों की तरह सजते हैं !

कोई दुखी रहे लेकिन वे कभी दुखी नहीं रहते ! हमेशा हंसते हैं, हंसकर ही समस्याओं का सामना करते हैं, हंसी-हंसी में समस्याएं पैदा करते हैं, आप परेशान हों तो हों, मोदीजी समस्याओं से परेशान नहीं होते !

हिन्दू समाज के मौलिक चिन्तक और विचारक के रूप में मोदीजी का जो चेहरा विगत ढाई साल में सामने आया है, ऐसा तेजस्वी चेहरा तो न तो बाबा राम देव का है और न श्रीश्री रविशंकर या किसी शंकराचार्य का है !

वे संस्कार से हिन्दू, विचार से हिन्दू, अर्थशास्त्री के रूप में हिन्दू, प्रशासक के रूप में हिन्दू, कहने का आशय यह कि वे हर समय हिन्दू हैं और हिन्दू के अलावा कुछ नहीं हैं !

असली हिन्दू कौन?

असली हिन्दू वह जो पुनर्जन्म में विश्वास करे, इस समय " हिन्दू देश" जो कष्ट भोग रहा है वह इसलिए कि हम सबने पुर्वजन्म में पाप किए थे, उन पापों के कारण कष्ट पा रहे हैं ! यही वह धारणा है जिसके चलते मोदीजी को करोड़ों जनता के कष्टों को लेकर कोई दुख नहीं होता, सबका पैसा बैंकों में ठप्प करके वे खुश हैं !

मोदीजी निश्चिंत क्यों हैं?

आपका पैसा ठप्प है क्योंकि पूर्वजन्म में पाप किए थे !  पाप किए हैं तो इस जन्म में उनका फल तो भोगना ही होगा ! आप तय मानिए मोदीजी का कोई बाल बांका नहीं कर पाएगा, क्योंकि हम सबकी कमजोरी पुनर्जन्म की धारणा (concept of reincarnation) है जिस पर मोदीजी से लेकर हर हिन्दू विश्वास करता है।

मोदीजी निश्चिंत हैं वे कोई खतरा नहीं देख रहे बल्कि विजय ही विजय देख रहे हैं।

जगदीश्वर चतुर्वेदी

jagdishwar chaturvedi
Jagadishwar Chaturvedi जगदीश्वर चतुर्वेदी। लेखक कोलकाता विश्वविद्यालय के अवकाशप्राप्त प्रोफेसर व जवाहर लाल नेहरूविश्वविद्यालय छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष हैं। वे हस्तक्षेप के सम्मानित स्तंभकार हैं।

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