मुंबई, 27 सितम्बर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। सर्वोच्च न्यायालय ने संविधान पीठ के सामने लगे मामलों की सुनवाई के लाइव स्ट्रीमिंग की व्यवस्था कर दी है। इन मामलों में EWS आरक्षण, महाराष्ट्र शिवसेना विवाद, दिल्ली-केंद्र विवाद शामिल हैं।
दरअसल, हाल ही में मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में कोर्ट मीटिंग हुई थी। इसमें 27 सितंबर से सभी संविधान पीठ की सुनवाई की कार्यवाही को लाइव-स्ट्रीम करने का निर्णय लिया गया था।
बता दें कि 27 सितंबर 2018 को भारत के तत्कालीन भारत के मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India) दीपक मिश्रा ने संवैधानिक महत्व के मामलों की लाइव स्ट्रीमिंग की अनुमति दी थी। हालांकि यौन उत्पीड़न और वैवाहिक मामलों की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग के लिए अनुमति नहीं थी।
इस लाइव स्ट्रीमिंग की शुरुआत आज उद्धव बनाम शिंदे केस से हुई।
उद्धव गुट की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दलील रखी। सिब्बल ने कहा, 'कोर्ट के 29 जुलाई के आदेश की वजह से यह सब हुआ। जब अयोग्यता का मामला पेंडिंग है, तो चुनाव आयोग सिंबल पर फैसला कैसे कर सकता है।'
उधर, पीठ ने कहा कि हम इस मामले को जल्द सुलझाना चाहते हैं। तो वही जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, 'मैं चाहता हूं कि इस विवाद का जल्द निपटारा हो। हम यह देखना चाहते हैं कि स्पीकर के अधिकार क्षेत्र और चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र में क्या कोई कॉन्ट्राडिक्शन है।'
इस पर वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, चुनाव आयोग में जिस व्यक्ति ने केस दाखिल किया है, वो शिवसेना ही नहीं है।
जिसके बाद LG वर्सेस दिल्ली सरकार मामले में सर्वोच्च न्यायालय की सुनवाई अब नवंबर में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की संवैधानिक बेंच में होगी।
दिल्ली सरकार की ओर से दाखिल इस याचिका में अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग में उप-राज्यपाल की शक्ति को चुनौती दी गई है। साथ ही EWS रिजर्वेशन मामले में सर्वोच्च न्यायालय में चीफ जस्टिस यूयू ललित की बेंच में सातवें दिन की सुनवाई हुई।
सरकार ने कहा कि आरक्षण देने के लिए 50% का जो बैरियर है, उसका टूटना क्या चौंकाने वाला है? इस पर याचिकाकर्ता के वकील शंकरनारायण ने कहा, सर्वोच्च न्यायालय में ही यह स्ट्रक्चर तय किया गया है, इसे तोड़ा नहीं जा सकता है।
सर्वोच्च न्यायालय ने मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया है। जनवरी 2019 में केंद्र सरकार ने आर्थिक रूप से पिछड़े समान्य वर्ग के लोगों को 10% आरक्षण देने की घोषणा की थी, जिसे सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है।
The general public will be able to watch the live streaming of the hearing of the Constitution Bench. Live streaming started from Uddhav vs Shinde case