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कोरोना से लड़ने के लिए सरकार को देश के सभी नागरिकों को प्रति माह  कम–से–कम 15,000 रुपये हस्तांतरित करना होगा!

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hastakshep
27 Mar 2020
पूंजीपतियों को बजट से पहले सात दफा पैकेज, जो संक्रमित हो रहे हैं, उनके इलाज का बंदोबस्त क्यों नहीं ?

The government must transfer at least Rs.15,000 per month to all citizens of the country!

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नई दिल्ली, 27 मार्च 2020 : भारत के गरीब नागरिकों पर कोविद-19 महामारी के प्रकोप को कम करने के लिए भारतीय वित्त मंत्रालय ने 1.7 लाख करोड़ का पैकेज का घोषित किया हैं I लेकिन सोशल सिक्यूरिटी नाउ (SSN) का कहना हैं कि  यह पैकेज अपर्याप्त और अपमानजनक है क्योंकि इसके तहत लाभार्थियों के खाते में मात्र 1000 रुपए ही प्रतिमाह हस्तांतरित किया जा सकेगा, जो संकट से जूझने के लिए बिलकुल ही काफी नहीं हैंI

सोशल सिक्यूरिटी नाउ, नागर संस्थानों और अनौपचारिक श्रमिक संगठनों का एक राष्ट्रीय नेटवर्क हैंI प्रधानमंत्री कार्यालय, वित्त मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय, और श्रम मंत्रालय को आज एक याचिका भेजते हुए सोशल सिक्यूरिटी नाउ ने मांग की हैं कि अगले तीन महीनों के लिए सभी वयस्क  नागरिकों के खाते में 15,000 रुपये हस्तांतरण किया जाय।

इस याचिका में 900 से भी अधिक लोगो ने हस्ताक्षर किया हैं जिसमें ट्रेड यूनियन एवं मेहनतकश संगठनों के प्रतिनिधि जैसे एटक, एआईसीसीटीयु, युटीयुसी, सेवा (केरल), नेशनल डोमेस्टिक वर्कर्स यूनियन, महिला किसान अधिकार मंच, नेशनल अलायन्स फॉर पीपल्स मूवमेंट, विदर्भ मोलकरीण संगठना, एनसीसीआरडब्लू, इत्यादि शामिल हैं I इनके अलावा अर्थशास्त्री अरुण कुमार, बिस्वजीत धर, साहित्य आलोचक हिरेन गोहाई, समाजशास्त्री नंदिनी सुंदर, सतीश देशपांडे, नारीवादी विद्वान निवेदिता मेनन, राजनीतिक वैज्ञानिक आदित्य निगम और अन्य लोगो ने भी याचिका में हस्ताक्षर किया हैं I

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याचिका में सोशल सिक्यूरिटी नाउ का कहना हैं कि इस मोड़ पर संगठित-असंगठित या बीपीएल-एपीएल के बीच का अंतर प्रशासनिक रूप से स्थापित करना एक बोझिल काम हैं और इसलिए बिना किसी भेदभाव के यह स्थानांतरण सार्वभौमिक (यूनिवर्सल) रूप से किया जाना चाहिए। याचिका में यह भी कहा गया है कि ऐसे सार्वभौमिक स्थानांतरण से मेहनतकशों का  वित्तीय सशक्तिकरण होगा और उन्हें दैनिक खाद्य सामग्री खरीदने के लिए, किराया, बिजली, पानी,दवाई, मोबाइल शुल्क, कपड़े और अन्य आवश्यक दैनिक खर्चों का भुगतान करने में कुछ मदद मिलेगी।

याचिका में आगे यह मांग की गई हैं कि देश में लगभग 25 करोड़ ही राशन कार्ड धारक हैं; वर्त्तमान हालत को देखते हुए सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम) तक सभी लोगों की पहुँच होनी चाहिएI महामारी की अवधि के दौरान आवश्यक खाद्य सामग्री सबको मिलनी चहिये, भले वो बीपीएल या एपीएल में शामिल हो  या न होI

याचिका में उल्लेख किया गया हैं कि राहत प्लान के लिए संसाधन जुटाने के लिए हर बड़ी कंपनी को कम से कम 50% सीएसआर फंड एक अलग अकाउंट में जमा करने को कहा जायI

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“कोरोना योद्धाओं” के लिए 50 लाख की बीमा योजना की सराहना करते हुए सोशल सिक्यूरिटी नाउ ने कहा है कि सभी कोरोना वायरस परीक्षण निशुल्क किए जाने चाहिए - चाहे वे सार्वजनिक या निजी अस्पतालों और प्रयोगशालाओं में आयोजित किए जा रहे हो।

याचिका में जोर दिया गया है कि जहां पूरी आबादी को कोविड-19 संकट के कहर से बचाने की जरूरत है, वहीं प्रवासी श्रमिकों, बेघर महिलाओं (विशेषकर महिला मुखिया परिवारों एवं एकल महिलाओं), यौनकर्मियों, वरिष्ठ नागरिकों, बच्चों  और अन्य कमजोर वर्ग के लोगों को राहत पैकेज में पूर्ण रूप से  शामिल करने का भरपुर प्रयास किया जाएI कमजोर समुदायों की विशिष्ट आवश्यकताओं की देखभाल के लिए विशेष कदम उठाए जाने चाहिए। अस्पतालों में सुरक्षित प्रसव सुनिश्चित करने के लिए अलग क्लीनिक की सुविधा मुहैया करवाना इस समय बेहद जरूरी होगा।

सार्वजनिक भवन और सुविधाएं - जैसे कि सामुदायिक भवन, पंचायत, स्कूल, एसी ट्रेन कोच आदि का उपयोग बेघर, प्रवासी श्रमिकों और अन्य आपदाग्रस्त वर्गों को तुरंत आश्रय और भोजन प्रदान करने के लिए किया जा सकता है।

सोशल सिक्योरिटी नाउ 500 से भी अधिक संगठनों का एक दशक पुराना मंच है - जिसमें ट्रेड यूनियन, नारीवादी संगठन, दलित अधिकार संगठन, महिलाएं, किसान, शिक्षा, स्वास्थ्य अभियान संगठन और अन्य शामिल हैं - जो भारत में सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा के लिए अभियान चलाता है।

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