The government, which arrested the democrats as goons and gangsters, has not been able to arrest Vikas Dubey yet - Rihai Manch
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लखनऊ, 7 जूलाई 2020। रिहाई मंच ने यूपी के विभिन्न जनपदों में सीएए विरोध के नाम पर गैंगेस्टर एक्ट के तहत की जाने वाली लोकतंत्र विरोधी कार्रवाइयों की निंदा करते हुए इसे बदले की कार्रवाई कहा।
मंच ने लखनऊ के हसनगंज थाने द्वारा 12 लोगों के खिलाफ गैंगेस्टर की कार्रवाई के बाद मोहम्मद शफीउद्दीन, मोहम्मद सलमान और जाकिर की गिरफ्तारी पर सवाल उठाया है।
रिहाई मंच महासचिव राजीव यादन ने कहा कि कानपुर, मऊ, अलीगढ़, लखनऊ आदि जनपदों में मनमाने ढंग से अपराधिक धाराओं में मुकदमे दर्ज किए गए थे। कोरोना महामारी के दौर में अब गुंडा एक्ट और गैंगेस्टर एक्ट लगाया जाना आभास कराता है कि हम किसी लोकतंत्र में न रह कर राजशाही में जी रहे हों। जहां राजा का फरमान ही सबकुछ है। विकास दुबे जैसों को तो सरकार ने तब गुंडा कहा जब हमारे पुलिस के जवानों की लाशें गिर गई। आंदोलन अपराधियों का नहीं लोकतंत्रवादियों का होता है जिसमें गुंडा या गैंगेस्टर नहीं होता है। इन्हीं लोकतांत्रिक मूल्यों के बल पर हमने गुलामी से आजादी का रास्ता तय किया और आज़ाद भारत में संविधान है। देश बाबा साहेब के संविधान से चलेगा न कि किसी की मन-मर्जी से।
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राजीव ने कहा कि मीडिया माध्यमों द्वारा जानकारी प्राप्त हुई कि कानपुर में हसीन उर्फ ईशू को आपराधिक गैंग का मुखिया घोषित करते हुए उनके समेत कुल 11 लोगों के पर गैंगेस्टर एक्ट लगाया गया है। जिसमें फैज़ान खान, अकरम, साबिर सिद्दीकी उर्फ साबिर चूड़ीवाला, दिलशाद उर्फ शानू, मो० अकील, हम्माद, मो० उमर, मो० वासिफ, सरवर आलम और मो० कासिम शामिल हैं। जबकि मऊ में आसिफ चंदन उर्फ मो० आसिफ, फैज़ान, मज़हर मेजर, इम्तियाज़ नोमानी, ओबादा उर्फ ओहाटा, सरफराज़, अलतमस सभासद, अनीस, जावेद उर्फ नाटे, इसहाक, आमिर होंडा, खुर्शीद कमाल, दिलीप पांडेय, आमिर, मुनव्वर मुर्गा, शाकिर लारी, ज़ैद, खालिद, शहरयार, अफज़ाल उर्फ गुड्डू, वहाब, अनस समेत कुल 22 लोगों पर गैंगेस्टर एक्ट लगाया गया है। आसिफ चंदन को गिरोह का सरगना बताया गया है।
लखनऊ में यह सूची और भी बड़ी है जहां पहले गुंडा एक्ट की कार्रवाई की गई थी पिछ्ले दिनों कैसरबाग पुलिस ने 15 के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई की है. इरफान, मो शोएब, मो शरीफ, मो आमिर, मो हारून, अब्दुल हमीद, नियाज़ अहमद, मो हामिद, इकबाल अहमद, शहनाज़, मो समीर, मो फैज़ल, मो इकबाल, कफील अहमद, सलीम उर्फ सलीमुद्दीन पर गैंगस्टर लगाया गया।
मंच महासचिव ने कहा कि देश में राजनीतिक विरोधियों या सत्तारूढ़ दल से इतर विचार रखने वालों को बर्दाश्त न करने का चलन लोकतंत्रिक व्यवस्था के लिए बहुत खतरनाक संकेत है। यह विभिन्न भाषाओं, संस्कृतियों, धार्मिक समूहों के सह अस्तित्व, विविधता में एकता और संवैधानिक मूल्यों पर कुठाराघात है। आज जब देश में कोरोना संकट के चलते एकजुटता की सबसे अधिक ज़रूरत है ऐसे में यह दमनात्मक कार्रवाइयां देश और समाज को कमजोर करती हैं।