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अच्छे पढ़ने लिखने वाले छात्रों के लिए अच्छे दिनों में नौकरी पाना सबसे गंभीर चुनौती

मुसलमानों को यहां से देखो

Jagadishwar Chaturvedi जगदीश्वर चतुर्वेदी। लेखक कोलकाता विश्वविद्यालय के अवकाशप्राप्त प्रोफेसर व जवाहर लाल नेहरूविश्वविद्यालय छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष हैं। वे हस्तक्षेप के सम्मानित स्तंभकार हैं।

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अच्छे पढ़ने लिखने वाले छात्रों के लिए नौकरियों के दरवाज़े बंद हो गए हैं

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इस समय अच्छे पढ़ने लिखने वाले छात्रों के सामने नौकरी पाना सबसे गंभीर चुनौती है। जिस तरह अधिकांश शिक्षा संस्थानों में सिफ़ारिशी लाल को नौकरी देने का चलन दिख रहा है, अपनी विचारधारा के बंदे को नौकरी देने का चलन दीख रहा है, उसने पढ़ाकू छात्रों के लिए नौकरियों के दरवाज़े तक़रीबन बंद कर दिए हैं।

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इस प्रक्रिया में छात्रों में बड़े पैमाने पर नौकरी पाने के गुर सीखने की प्रवृत्ति चल निकली है, इसने अकादमिक योग्यता को महज़ डिग्री में संकुचित कर दिया है।

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डिग्रीधारी अशिक्षित छात्रों का बाहुल्य

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दुखद बात यह है कि जिस छात्र के 70  -80 फ़ीसदी नम्बर हैं, उसने कभी किताबें खोलकर नहीं देखीं, किताबों का स्पर्श तक नहीं किया। मैं कई चयन समितियों में इस तरह के डिग्रीधारी अशिक्षित छात्रों को देख चुका हूँ।

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कहने का आशय यह है कि छात्रों में पढ़ने की ज़िद, ज्ञान पाने की बेचैनी एकसिरे से ग़ायब हो गयी है, अब वह ज्ञान पाने के लिए नहीं पढ़ता बल्कि नौकरी पाने के लिए पढ़ता है, इस तरह का विद्यार्थी कभी भी अच्छा शिक्षक नहीं बन सकता। उसके लिए शिक्षण तो महज़ नौकरी है, ऐसी अवस्था में शिक्षक महज़ नौकर होगा, बुद्धिजीवी या रिसर्चर या विचारक या ओपिनियनमेकर नहीं होगा।

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 यही वजह कि शिक्षक की हमारे समाज से विदाई हो चुकी है, अब शिक्षक नहीं नौकर मिलते हैं जिनको किसी तरह पीरियड लेने होते हैं, नोट्स लिखाने होते हैं, इस तरह के शिक्षक समाज के कभी प्रेरक प्रतीक नहीं बन सकते।

एक शिक्षक के नाते मैं अपनी कक्षा से कभी ग़ैर हाज़िर नहीं रहा, मैंने नियमित राजनीति भी की, लेकिन अध्ययन- अध्यापन के साथ उसका घालमेल नहीं किया। राजनीतिक कार्यक्रमों के कारण कक्षा का बहिष्कार या अनुपस्थित नहीं रहा। यह एक सामान्य और साधारण शिक्षकीय दायित्व है जिसका मैं नियमित पालन करता रहा हूं, लेकिन मुझे उस समय बेहद तकलीफ़ होती है जब कोई शिक्षक अपने राजनीतिक कार्यों के कारण पढ़ाने न जाय और छुट्टी भी न ले।

जो शिक्षक पगार लेकर अध्ययन-अध्यापन का काम न करके अन्य कामों में रुचि लेते हैं, हम चाहेंगे कि वे नौकरी छोड़ दें और मन लगाकर अन्य कार्य करें। इस तरह के निकम्मे शिक्षकों के कारण समूची शिक्षा व्यवस्था टूट चुकी है। ये ही शिक्षक हैं जो सिफारिशीलाल और हेकड़ीबाज की तरह रौब गाँठते रहते हैं। यही लोग हैं जो कक्षाओं में नोट्स लिखाने का काम करते हैं, पढ़ाने के बजाय नोट्स लिखाने का काम करते हैं।

विद्यार्थियों को पढ़ाने की बजाय नोट्स लिखाना सामाजिक अपराध है इससे शिक्षा का स्तर गिरा है।

प्रोफेसर जगदीश्वर चतुर्वेदी

The most serious challenge for well-read students to get a job on a Achchhe Din

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