किसानों का संघर्ष एक क्रांतिकारी संघर्ष है !
अजित अंजुम एक किसान से पूछ रहे थे कि इतने दिनों से चल रहे इस आंदोलन का क्या होगा, अर्थात् इसका अंत क्या है ?
दरअसल वे यह सवाल आंदोलन में शामिल किसान से नहीं, खुद से ही कर रहे थे।
इसके अंत का कोई अनुमान न मिलना ही इसके असंभव, अचिन्त्य क्षेत्रों में प्रवेश की संभावनाओं को बनाता है।
और कहना न होगा, इस आंदोलन का यही पहलू मोदी-आरएसएस की तरह के पूँजीवादी तानाशाहों की नींद हराम कर रहा है, उन्हें, जिसे किंकर्तव्यविमूढ़ कहते हैं, वैसा पंगु बना दे रहा है।
यह एक प्रकार से मौजूदा पूरे राजनीतिक संस्थान के एक बड़ी चुनौती है।
और, इस आंदोलन के इसी पहलू से हम इसके क्रांतिकारी चरित्र का, यहाँ तक कि विश्व पूंजीवाद के सामने इससे एक बड़ी और प्रभावी चुनौती का संकेत पाते हैं।
जिस दिन अजित अंजुम के सवाल का कोई उत्तर मिल जाएगा, उसी दिन इस संघर्ष का अंत भी हो जाएगा।
–अरुण माहेश्वरी

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