The Prime Minister of India does not just mean snout ….!
भारत विविध है. विविधता भारत की आत्मा है. भौगोलिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक विविधता से बनता है भारत. इस विविधता को चकनाचूर करने वाला स्वयं ध्वस्त हो जाता है. भारत मूलतः एकाधिकारवाद के विरुद खड़ा एक कालजयी कालखंड है. समय-समय पर अल्पकालिक विकारी राज करने में सफ़ल हुए पर अंततः जीत विचार की ही हुई ! झूठ हारा और सत्य की जीत हुई इसलिए भारत का प्रशासनिक सूत्र है सत्यमेव जयते !
यह सच अब भारत में तीन करोड़ की भीड़ वाले विकारी संघ को समझ लेना अनिवार्य है. उन्हें भारत को हिन्दू राष्ट्र में खपने की बजाय भारत की विविधता को स्वीकार करने की जरूरत है. आधुनिकतावाद के विकारों की आड़ में शिक्षित होते भारत की आर्थिक समृद्धि में किसी ग्रहण की भांति उभरे विकारी संघ ने भारतीयों को हिन्दू –मुसलमान में तकसीम कर बहुमत की हिन्दू सरकार तो बना ली पर मुसलमानों को ठिकाने लगाने की बजाय हिन्दुओं को ही ठिकाने लगा दिया.
आज आलम यह है कि न श्मशान में जगह मिल रही है ना कब्रिस्तान में पनाह.
पूरे देश में मौत का तांडव है और हिन्दू राष्ट्र की चिता जल रही है. मन्दिर – मस्जिद की बजाय नेहरु के बनाएं अस्पतालों में जनता जीवन बचाने के लिए शरण ले रही है. पर उनका दुर्भाग्य यह है की अस्पताल में भी जगह नहीं है..यह सम्भवतः प्रकृति का न्याय है कि मन्दिर के लिए चंदा देने वालों को अस्पताल क्यों चाहिए ? उन्हें मन्दिर से भभूत लेकर जान बचानी चाहिए !
विकारी संघ ने वर्षों से विकार को पाला, पोसा और प्रचारित किया है. इसके लिए प्रचारक तैयार किये. धर्म, संस्कृति, संस्कार की आड़ में यह विकारी संघ झूठे नायक और प्रतिमान गढ़ता है उनका प्रचार प्रसार करता है. मूलतः इस विकारी संघ का प्रकृति और मनुष्य में विश्वास ही नहीं है. यह किसी काल्पनिक अवतार को साधता है. बिना तथ्यों और प्रमाण के एक मिथक गढ़ता है. व्यक्ति की आस्था को राष्ट्र की अस्मिता बनाकर पूरे जनमानस को एक मृग मरीचिका के भंवर में धकेल देता है. उन मिथकों को लोक जीवन में मौजूद मिथकों में मिलाकर ऐसा घालमेल करता है कि सामान्य जनता में विकार एक महामारी का रूप ले लेता है. उसी महामारी का परिणाम है कि संविधान सम्मत भारतीय भारतीयता छोड़ गर्व से हिन्दू होने का नारा लगाते हैं.
जय श्री राम का उद्घोष मर्यादा पुरुषोत्तम की मर्यादा को तार-तार करने वाले विकारी गिद्ध को भारत की सत्ता सौंप देते हैं. बहुमत की हिन्दू सरकार चुनने वाले आज स्वयं ‘लोटे’ में लौट रहे हैं. मर रही जनता को बचाने की बजाय जलती चिताओं के बीच विकारी संघ और उसके गिद्ध चुनावी रैली कर रहे हैं.
भारत ने अपने स्वतंत्रता आन्दोलन में तपकर संविधान बनाया था. उसका साफ़ मकसद है मनु स्मृति, कुरान या किसी भी धर्म ग्रन्थ से भारत का प्रशासन नहीं चलेगा. भारत का संविधान सभी को अपने निजी जीवन में अपने धर्म का पालन करने की अनुमति देते हुए सरकारी कामकाज में धर्म के दखल को ख़ारिज करता है. इसलिए सब जान लें पंथ निरपेक्षता भारत के संविधान की आत्मा है.
भारत का संविधान भारत के स्वतंत्र होने की पहचान है. इसलिए विकारी संघ के जाल में फंसे हिन्दू – मुसलमान यह समझ लें कि मनुष्य बनकर रहना है, आज़ाद मुल्क में रहना है तो उसका एक ही सूत्र है ‘भारतीय बनकर भारत में रहना’ और भारतीय बनकर देश की सरकार चुनना.
हिन्दू – मुसलमान बनकर सरकार चुनोगे तो ऐसे ही मरोगे बेमौत ना अस्पताल में बेड मिलेगा, ना श्मशान में जगह और ना कब्रिस्तान में पनाह !
इसलिए हे भारतीयों अब हिन्दू राष्ट्र के विध्वंसक षड्यंत्र को तोड़ो, विकारी संघ के धर्म, संस्कृति, संस्कार के पाखंड को खारिज़ करो. विचार से, विवेक से, संविधान से भारत का पुनः निर्माण करो. जुमलों से जिंदगी नहीं सिर्फ मौत मिलती है.
आपने स्वतंत्रता संघर्ष का इतिहास पढ़ा है वो राजनैतिक गुलामी से मुक्ति का दस्तावेज है. आओ हम सब भारतीय संविधान की रोशनी में विकार मुक्त, विचार युक्त भारत को इतिहास रचें !
– मंजुल भारद्वाज
लेखक रंगकर्मी हैं।

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