The role of artificial intelligence will be important in dealing with the challenges of the future
नई दिल्ली, 19 मार्च : विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने समस्याओं के समाधान और प्रगति से जुड़ी बाधाओं को दूर करने के लिए भारत व अमेरिका के बीच विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के संबंधों (Science and technology relations between India and America) को बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया है। उन्होंने कहा है कि इंटेलिजेंस (एआई) इस दिशा में प्रमुख भूमिका निभा सकती है।
US-Indian Artificial Intelligence (USIAI) initiative launched
प्रोफेसर शर्मा ने ये बातें ‘अमेरिकी-भारतीय आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (यूएसआईएआई) पहल’ लॉन्च किए जाने के दौरान कही हैं।
भारतीय-अमेरिकी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी फोरम (आईयूएसएसटीएफ) द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में प्रोफेसर शर्मा ने कहा कि “विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत एवं अमेरिका के संबंध काफी पुराने हैं, जिसका लाभ दोनों देशों को मिला है। इन संबंधों को विभिन्न क्षेत्रों में बढ़ाने की आवश्यकता है।” उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में अनुसंधान और तकनीक को बहु-विषयक साइबर-फिजिकल प्रणालियों के राष्ट्रीय मिशन के तहत स्थापित 25 तकनीकी हब, जो ट्रिपल हेलिक्स के रूप में काम कर रहे हैं, के जरिये देश में प्रोत्साहित और लागू किया जा रहा है। प्रोफेसर शर्मा ने इस मौके पर भारत की भू-स्थानिक नीतियों को उदार बनाने के लिए हाल में की गई पहल का जिक्र भी किया।
यूएसआईएआई क्या है
यूएसआईएआई उन महत्वपूर्ण क्षेत्रों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के सहयोग पर केंद्रित है, जो दोनों देशों की प्राथमिकताओं में शामिल हैं। यूएसआईएआई अवसरों, चुनौतियों और द्विपक्षीय आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के अनुसंधान एवं विकास के लिए बाधा पर विचार विमर्श करने, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस नवाचार को सक्षम करने, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कार्यबल विकसित करने के लिए विचारों को साझा करने में मदद करने और साझेदारी को बेहतर बनाने के लिए प्रक्रिया और प्रणाली की सिफारिश के लिए, एक मंच के रूप में काम करेगा।
महासागर एवं अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण और वैज्ञानिक मामलों के अमेरिकी ब्यूरो, अमेरिकी राज्य विभाग के कार्यवाहक उप-सहायक सचिव जोनाथन मार्गोलिस ने इस अवसर पर कहा कि भारत और अमेरिका के बीच सहयोग खुलेपन, पारदर्शिता और पारस्परिकता के साझा मूल्यों पर आधारित है और नवाचार को बढ़ावा देता है।
उन्होंने कहा,
“अमेरिका-भारत की रणनीतिक साझेदारी उन महत्वपूर्ण क्षेत्रों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर फोकस करके मजबूत की जा सकती है, जो दोनों देशों की प्राथमिकता में शामिल हैं।”
राष्ट्रीय विज्ञान फाउंडेशन (एनएसएफ) के निदेशक डॉ. सेतुरमण “पंच” पंचनाथन ने कहा,
“विश्व के दो बड़े लोकतंत्र आपसी तालमेल और सहयोग द्वारा अद्भुत चीजें कर सकते हैं और इस तरह की पहल को शुरू करने के लिए यह सही समय है। हम दोनों अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ावा देने, रोजगार पैदा करने और समृद्धि लाने के लिए उच्च प्रभाव वाले सहयोग और अनुसंधान की उम्मीद कर रहे हैं।”
इस मौके पर एग्जिलर वेंचर्स के चेयरमैन क्रिस गोपालकृष्णन ने कहा कि भारत में विविधता है और अनुसंधान के लिए विविधता बहुत महत्वपूर्ण है। भारत दोनों देशों के आधार पर डेटा और बैंकिंग में मजबूत है, यह वैश्विक सहयोग दोनों की सहायता करता है।
आईयूएसएसटीएफ की कार्यकारी निदेशक डॉ. नंदिनी कनन ने कहा,
“आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पहल भारत और अमेरिका के बीच विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने में आईयूएसएसटीएफ की महत्वपूर्ण भूमिका का एक और उदाहरण है।”
यह अमेरिकी-भारतीय पहल सभी महत्वपूर्ण हितधारक समूहों को अपने अनुभव साझा करने, पारस्परिक गतिविधियों से लाभ प्राप्त करने वाले नए अनुसंधान और विकास क्षेत्रों तथा अवसरों को पहचानने, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उभरते परिदृश्य पर चर्चा करने और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कार्यबल के विकास में चुनौतियों को संबोधित करने के अवसर प्रदान करेगी। अगले वर्ष आईयूएसएसटीएफ हितधारक समुदायों से इनपुट इकट्ठा करने के लिए गोलमेज बैठकों की एक श्रृंखला और कार्यशालाओं का आयोजन करेगा।
(इंडिया साइंस वायर)