शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यह अजीब विडंबना है कि सुप्रीम कोर्ट एक सुनवाई के दौरान ज़ोर देकर कहता है कि भारत एक 'सेकुलर' राज्य है और हेट स्पीच को स्वीकार नहीं किया जा सकता, लेकिन अगले ही दिन कॉलेजियम से जिन पांच जजों को सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त करता है उसमें एक नाम राजस्थान के मुख्य न्यायाधीश पंकज मित्तल का भी है जिन्होंने पिछले साल 4 दिसंबर को जम्मू कश्मीर के मुख्य न्यायाधीश के बतौर बयान दिया था कि हमारे संविधान में सेकुलर शब्द जुड़ने से भारत की छवि धूमिल हुई है और इसे बदलकर आध्यात्मिक लोकतंत्र कर देना चाहिए.
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कांग्रेस नेता ने कहा कि जब संविधान की प्रस्तावना के मूल तत्व जिसमे सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के मुताबिक ही कोई बदलाव नहीं हो सकता, उसमें खुद जज ही आस्था नहीं रखेंगे तो उनकी विश्वसनीयता पर कौन भरोसा करेगा.
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उन्होंने कहा कि 21 अक्तूबर 2022 को ही सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश की सरकारों से हेट स्पीच के मामलों में कार्रवाई रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया था, लेकिन तीन महीने से ज़्यादा समय बीतने के बाद भी किसी राज्य सरकार ने कोई रिपोर्ट नहीं सौंपी और ना सुप्रीम कोर्ट ने ही इस देरी के लिए उनसे जवाब तलब किया. इससे समाज में यह संदेश गया है कि न्यायपालिका और सरकार दोनों एकमत हैं कि हेट स्पीच किसी कीमत पर रुकने नहीं चाहिए और लोगों को सिर्फ़ भ्रमित करने के लिए ही बीच-बीच में न्यायापालिका से ऐसी टिप्पणीयां करा दी जाती हैं.
श्री आलम ने कहा कि हेट स्पीच को लेकर सुप्रीम कोर्ट के अगंभीर रवैय्ये का अंदाज़ा इससे भी लग जाता है कि 2007 में योगी आदित्यनाथ द्वारा गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर दिये गए भड़काऊ भाषण जिसके बाद वहाँ बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी, के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 26 अगस्त 2022 को इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका को स्वीकार करने से इनकार कर दिया जिसमें इस मामले में खुद योगी द्वारा अपने को क्लीन चिट देने को न्यायसम्मत माना गया था.
सरकार के इशारे पर नाच रहा है न्यायपालिका का एक हिस्सा
कांग्रेस नेता ने कहा कि न्यायपालिका का एक हिस्सा पूरी तरह सरकार के इशारे पर नाच रहा है जिससे लोगों का भरोसा न्यायपालिका पर कमज़ोर हुआ है. उन्होंने कहा कि भाजपा को सत्ता से हटाए बिना स्वतंत्र न्यायपालिका की कल्पना नहीं की जा सकती.
सच साबित हुई Rahul Gandhi की बात | Bharat Jodo Yatra | hastakshep | Supreme Court On Hate Speech
There cannot be an independent judiciary without removing the BJP from power.