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ये मौतें लॉकडाउन जनित जनसंहार हैं, यह हादसा नहीं, सरकार निर्मित त्रासदी है

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hastakshep
16 May 2020
पटना में NRC-CAA-NPR के खिलाफ गरीब दलित उतरे सड़कों पर

These deaths are lockdown-caused massacres, not an accident, a government-made tragedy.

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औरैया, आगरा में सड़कों पर 26 मजदूरों की मौत के लिए सरकार जिम्मेदार : माले

लखनऊ, 16 मई। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माले) की राज्य इकाई ने औरैया व आगरा में शनिवार को हुई सड़क दुर्घटनाओं में घर लौट रहे 26 प्रवासी मजदूरों की मौत पर गहरा शोक व घायलों के प्रति संवेदना प्रकट की है।

पार्टी ने मौतों के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए मृतकों के परिजनों व घायलों को पर्याप्त मुआवजा देने और सरकारी खर्चे पर समुचित इलाज कराने की मांग की है।

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पार्टी के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने कहा कि ये मौतें लॉकडाउन जनित जनसंहार (Lockdown-caused massacre) हैं। यह हादसा नहीं, सरकार निर्मित त्रासदी है। लॉकडाउन की परेशानियों के चलते घरवापसी के लिए विवश हुए प्रवासी मजदूरों को यदि उनके घरों तक सुरक्षित पहुंचाने के लिए पर्याप्त ट्रेनों और बसों की व्यवस्था सरकार द्वारा की गई होती, तो इस जनहानि से बचा जा सकता था।

राज्य सचिव ने कहा कि जो श्रमिक स्पेशल ट्रेनें व बसें चलाई जा रही हैं, वे आवश्यकता की तुलना में अत्यंत नाकाफी हैं। इनसे जितने प्रवासियों को घरों तक पहुंचाने का दावा किया जा रहा है, उसके कई गुना मजदूर पैदल हाइवे व सड़कों पर चलते और जान जोखिम में डालकर असुरक्षित यात्रा करते दिखाई पड़ रहे हैं। ऐसा भी नहीं है कि सरकार के पास ट्रेनों और बसों की कमी है। कमी है तो घरवापसी के इच्छुक सभी प्रवासियों को सुरक्षित घर पहुंचाने के लिए रोडमैप (योजना) की।

माले नेता ने कहा कि मजदूरों को घर लौटने के लिए पंजीकरण की जो ऑनलाइन व्यवस्था है, उससे इसका कुछ पता नहीं चलता कि किसका नंबर कब आएगा। तमाम अर्जियां लगाने के बावजूद संबंधित थाने या प्रशासन से भी यात्रा को लेकर उन्हें कोई निश्चित जवाब या अनुमति नहीं मिलती। कहीं सुनवाई न होती देख, अपनी अनिश्चित बारी के इंतजार से थक-हारकर और भूखमरी से परेशान होकर परिवार समेत मजदूर पैदल ही सैंकड़ों मील की यात्रा पर निकल पड़ने को विवश हो जाते हैं।

उन्होंने कहा कि अभी तक लॉकडाउन में वापसी की यात्रा के दौरान सैंकड़ों मजदूर सड़कों-रेल लाईनों पर कुचलकर, भूख, हरारत व गैर-संक्रमण जनित अन्य कारणों से जानें गवां चुके हैं। ये मौतें अब तो रोजाना हो रही हैं और इनकी संख्या बढ़ती जा रही है, लेकिन सरकार को दिखाई नहीं पड़तीं या उन्हें जानबूझकर अनदेखा किया जा रहा है।

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