This is the announcement of the world’s biggest massacre or the biggest tragedy, along with the lockdown we need #HungeroutModiji!
लॉकडाउन के साथ साथ हमें #हंगरआउट भी चाहिए
माननीय प्रधानमंत्री जी ने आज आठ बजे फिर ऐलान फ़रमाया है कि आज ही रात बारह बजे से अगले इक्कीस दिन तक सम्पूर्ण देश में #लॉकडाउन से भी बड़ा #लॉकडाउन लगा दिया गया है।
इसमें किन सेवाओं को छूट दी जाएगी यह बताना आप देश के ह्रदयसम्राट जी शायद भूल गए। अब तो उनका देश के नाम संबोधन भी पूरा हो चुका है !
#लॉकडाउन पर वाह-वाह होनी चाहिए पर उससे पहले भारत के बारे में सम्पूर्ण जानकारी कर लीजिए-
भारत में लगभग 65 करोड़ लोगों की दैनिक आय 50 रुपए है। 4 दिन से वह भी बंद है।
देश के 81% श्रमिक असंगठित क्षेत्र से हैं। पिछले 4 दिन से काम बंद है।
भारत में 6 से 23 माह के सिर्फ 9.6% बच्चों को ही पेट भर खाना मिल पाता है।
इन सबके बावजूद देश का प्रधानमंत्री जी बिना राशन, बिना खाद्य सुरक्षा की बात किए 21 दिन के लिए भारत को बंद करने का ऐलान करते हैं। ये कहाँ तक तार्किक है जब कि उनके पास पर्याप्त समय था फिर चूक कहाँ हुई ?
ये तो देश के 65 करोड़ ग़रीबों को भूखे मार देने के बराबर है। ये ग़रीब किसी बेस्ट प्राइज या फिर बिग बाजार जैसे ब्रांड से सामान नहीं खरीदते हैं, बल्कि रोज कमा कर रोज खाने के लिए लोकल मंडी पर ही निर्भर हैं।
यह दुनिया के सबसे बड़े नरसंहार या कहें तो सबसे बड़ी त्रासदी का ऐलान है, क्योंकि अनाज सप्लाई की गाड़ियां भी रोकी जा रही हैं।
आज देश भर के लगभग सभी राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों पर करीब ढाई लाख ट्रक ड्राइवर फंसे हुए हैं, उन्हें न तो खाने-पीने का सामान मिल रहा है और न ही वे वापस लौट पा रहे हैं, दाल चावल राशन आदि जैसी वस्तुओं के अलावा बहुत से कीमती सामानों की ढुलाई रेल से नहीं बल्कि ट्रकों से ही होती है, अगर उन्हें नहीं निकलने दिया गया तो देश में जरूरी वस्तुओं का अकाल पड़ जाएगा।
………उधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की कंपनियों के मालिकों से कहा कि वे अपनी फैक्ट्रियों में जरूरी वस्तुओं का उत्पादन जारी रखें, ताकि कोरोना वायरस के प्रकोप से जारी जंग में जमाखोरी और कालाबाजारी न हो।
उत्पादन तो हो जाएगा खपत के लिए माल तो गंतव्य स्थान पर पुहंचाना होगा वो कैसे होगा ?
अभी तो इक्कीस दिन की घोषणा हुई है, शायद इसे आगे बढ़ाया जा सकता है। ऐसी स्थिति में कोई ठोस कदम नहीं दिख रहे हैं।

इंसानियत आज शर्मसार है।
कोई भी सकारात्मक सन्देश नहीं दिया है। ना ही गरीबों को कोई राहत पैकज ना चिकित्सा पैकेज की घोषणा। यद्यपि ऐसा कुछ नहीं कहा जिसकी आशा नहीं थी या पूर्वानुमान नहीं था।
कोरोना से बचाने के लिए 21 दिन के पूर्ण लॉक डाउन की घोषणा बाकई एक #सकारात्मक पहल है, लेकिन इस दौरान दैनिक मजदूरों और गरीब झुग्गी झोपड़ी वालों के लिए भूख से बचाने के लिए #हंगरआउट की भी घोषणा भी कीजिए।
इक्कीस दिन तक सख्ती से कर्फ़्यू का निर्णय कोई सामान्य बात नहीं है, लेकिन इसको मानने के अतिरिक्त और हमारे और देशवासियों के पास कोई विकल्प भी नहीं छोड़ा गया। हमें सरकार के इस पक्ष को भी तार्किकता से समझना चाहिए।
लगता है कि नियति और प्रकृति दोनों ही हमारे सब्र का इम्तिहान ले रहीं हैं। इसलिए शांत रहें, और अपनी बारी का इंतज़ार करें और सच कहूं तो इस डिटेंशन का सदुपयोग करें।
अमित सिंह शिवभक्त नंदी
हमें गूगल न्यूज पर फॉलो करें. ट्विटर पर फॉलो करें. वाट्सएप पर संदेश पाएं. हस्तक्षेप की आर्थिक मदद करें
One comment
Pingback: #Breaking : Know which essential services will continue even during complete lockdown | hastakshep news