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एक कपड़ा है एक रंग है
पर फिर भी बड़ी दूरी है साब
ये जाति, छुआ-छूत नहीं
ये नए ज़माने की दूरी है साब
ये थाली और पत्तल की दूरी है
ये रेशम और खादी की दूरी है साब
एक चमड़ा है एक रंग है
पर मिट्टी और रेते के घर की दूरी है साब
ये जाति, छुआ-छूत नहीं
ये नए ज़माने की दूरी है साब
ये लोकतंत्र और मरतंत्र की दूरी है
ये खाली और भरी जेब की दूरी है साब
कामगर तो कामगर ही रहेगा
ये गरीबी बड़ी बुरी चीज़ है साब
हिमांशु जोशी
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