ये लोकतंत्र और मरतंत्र की दूरी है

Guest writer
22 Jan 2022
ये लोकतंत्र और मरतंत्र की दूरी है ये लोकतंत्र और मरतंत्र की दूरी है

एक कपड़ा है एक रंग है

पर फिर भी बड़ी दूरी है साब

ये जाति, छुआ-छूत नहीं

ये नए ज़माने की दूरी है साब

ये थाली और पत्तल की दूरी है

ये रेशम और खादी की दूरी है साब

एक चमड़ा है एक रंग है

पर मिट्टी और रेते के घर की दूरी है साब

ये जाति, छुआ-छूत नहीं

ये नए ज़माने की दूरी है साब

ये लोकतंत्र और मरतंत्र की दूरी है

ये खाली और भरी जेब की दूरी है साब

कामगर तो कामगर ही रहेगा

ये गरीबी बड़ी बुरी चीज़ है साब

हिमांशु जोशी

himanshu joshi jouranalism हिमांशु जोशी, पत्रकारिता शोध छात्र, उत्तराखंड।
himanshu joshi jouranalism हिमांशु जोशी, पत्रकारिता शोध छात्र, उत्तराखंड।

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