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लेकिन तुम उस महामानव के विचारों से अब भी क्यों डरते हो?

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hastakshep
12 Jul 2020
लेकिन तुम उस महामानव के विचारों से अब भी क्यों डरते हो?

महामानव के विचार

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जब हम चढ़ाते हैं

ऐसे महामानव पर दो फूल

तो डगमगा जाता है...!

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उनका सिंहासन

वे डर जाते हैं

कहीं ठप्प न हो जाए

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उनकी दुकान...!!

हम चुपचाप फिर भी

उस महामानव के बताए

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रास्ते पर चलना चाहते हैं...!

वे मिटाना चाहते हैं

उनकी पहचान

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और उनके विचारों को भी

पर वे बंधे हुए हैं

ऐसे विचारों से...!!

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कुछ क्षण के लिए

उनको दबा सकते हो

पर उनको मार नहीं सकते...!

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वे उभरकर आएगें

फिर से एक नए

जनसैलाब के साथ...!!

लेकिन तुम उस महामानव के

विचारों से अब भी क्यों डरते हो?

कहीं उनकी वजह से

बंद न हो जाए तुम्हारा रोजगार

(9 जुलाई 2020, वर्धा में लिखी गई)

 

रजनीश कुमार अम्बेडकर

पीएचडी, रिसर्च स्कॉलर, स्त्री अध्ययन विभाग

महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा (महाराष्ट्र)

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