स्वामी विवेकानंद ने वर्षों पहले यह चेतावनी दी थी कि यदि हम दलितों को गले नहीं लगाएंगे तो वे हमारी लाशों पर नाचेंगे। अभी हाल में मध्यप्रदेश में घटित दो घटनाओं से ऐसा लगता है कि हम स्वामीजी की भविष्यवाणी को सही साबित करने पर आमादा हैं।
Advertisment
इन दो घटनाओं में से एक छतरपुर जिले में और दूसरी राजगढ़ में हुई। दोनों घटनाओं में न केवल दलित दूल्हों को घोड़े पर बैठने से रोका गया वरन् उनकी पिटाई भी की गई। छतरपुर जिले के कुंडलया गांव में 9 फरवरी को जब दलित दूल्हा घोड़े पर बैठकर अपनी बारात लेकर जा रहा था तब उच्च जाति के लोगों ने दूल्हे का रास्ता रोक लिया और उसे घोड़े से उतारने की कोशिश की। सबसे दिलचस्प बात यह है कि दूल्हा स्वयं पुलिस आरक्षक है और टीकमगढ़ में पदस्थ है।
Advertisment
सुखद खबर यह है कि पुलिस व प्रशासन ने दूल्हे की पूरी मदद की। परंतु सबसे अधिक चिंता की बात यह है कि समाज दलितों की बढ़ती हैसियत को स्वीकार नहीं करता और उन्हें बराबरी का दर्जा देने को तैयार नहीं है। उच्च वर्ग के कई हिन्दुओं का सोच है कि चूंकि दूल्हा दलित है इसलिए उसे घोड़े पर बैठकर बारात ले जाने का अधिकार नहीं है।
Advertisment
राजगढ़ जिले में घटी घटना तो और भी जघन्य और कड़ी भर्त्सना योग्य है। राजगढ़ जिले के कचनरिया गांव के एक दलित ने पुलिस को आवेदन दिया कि वह घोड़े पर बैठकर अपनी बारात ले जाना चाहता है और उसे आशंका है कि गूजर समाज के लोग उसपर हमला कर सकते हैं, इसलिए उसे पुलिस का संरक्षण दिया जाए। इसके बावजूद दूल्हे के घर पर हमला किया गया, टेन्ट उखाड़ फेंका गया और मेहमानों के लिए बनाया जा रहा भोजन फेंक दिया गया।
Advertisment
इस घटना की जानकारी प्राप्त होते ही पुलिस अधीक्षक प्रदीप शर्मा रात्रि में ही इस गांव में पहुंचे और 38 लोगों को गिरफ्तार करवाया। इनके अतिरिक्त 27 अन्य लोग जो फरार हो गए हैं, उनकी तलाश जारी है। प्रदीप शर्मा ने बताया कि रात्रि 10.30 बजे दूल्हे के घर पर हमला किया गया। उसके तुरंत बाद हम गांव पहुंच गए और पीड़ित परिवार को पूरी सहायता का आश्वासन दिया।
(एल. एस. हरदेनिया संयोजक, राष्ट्रीय सेक्युलर मंच एवं अध्यक्ष कौमी एकता ट्रस्ट द्वारा जनहित में जारी)