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आज राजा राममोहन राय का जन्मदिन है - Today is the birthday of Raja Rammohan Roy
Ram Mohan Roy (राजा राममोहन राय)
राजा राममोहन राय का जन्म 22 मई 1772 ई. को राधा नगर नामक बंगाल के एक गाँव में, पुराने विचारों से सम्पन्न बंगाली ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उन्होंने अपने जीवन में अरबी, फ़ारसी, अंग्रेज़ी, ग्रीक, हिब्रू आदि भाषाओं का अध्ययन किया था। हिन्दू, ईसाई, इस्लाम और सूफी धर्म का भी उन्होंने गम्भीर अध्ययन किया था।
17 वर्ष की अल्पायु में ही वे मूर्ति पूजा विरोधी हो गये थे। वे अंग्रेज़ी भाषा और सभ्यता से काफ़ी प्रभावित थे। उन्होंने इंग्लैंड की यात्रा की। धर्म और समाज सुधार उनका मुख्य लक्ष्य था। वे ईश्वर की एकता में विश्वास करते थे और सभी प्रकार के धार्मिक अंधविश्वास और कर्मकांडों के विरोधी थे।
Thoughts of Raja Rammohan Roy
राजा राममोहन राय ने अपने विचारों को लेखों और पुस्तकों में प्रकाशित करवाया। किन्तु हिन्दू और ईसाई प्रचारकों से उनका काफ़ी संघर्ष हुआ, परन्तु वे जीवन भर अपने विचारों का समर्थन करते रहे और उनके प्रचार के लिए उन्होंने 20 August 1828, Kolkata में ब्रह्मसमाज की स्थापना (establishment of brahmo samaj) की।
वे ब्रह्म समाज के संस्थापक, भारतीय भाषायी प्रेस के प्रवर्तक, जनजागरण और सामाजिक सुधार आंदोलन के प्रणेता तथा बंगाल में नव-जागरण युग के पितामह थे।
धार्मिक और सामाजिक विकास के क्षेत्र में राजा राममोहन राय का नाम सबसे अग्रणी है।
राजा राम मोहन राय ने तत्कालीन भारतीय समाज की कट्टरता, रूढ़िवादिता एवं अंध विश्वासों को दूर करके उसे आधुनिक बनाने का प्रयास किया।
राम मोहन राय के बारे में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने लिखा | Rabindranath Tagore wrote about Ram Mohan Roy -
"उस समय के मर्म को न विदेशियों ने पहचाना था, न भारतवासियों ने। केवल राममोहन राय समझ सके थे कि इस युग का आह्वान महान् ऐक्य का आह्वान है। ज्ञानालोक से प्रदीप्त उनके उदार हृदय में हिन्दू-मुसलमान-ईसाई सबके लिए स्थान था। उनका हृदय भारत का हृदय है, उन्होंने अपने -आप में भारत का सत्य परिचय दिया है। भारत का सत्य परिचय उसी मनुष्य में मिलता है जिसके हृदय में मनुष्य मात्र के लिए सम्मान है, स्वीकृति है।"
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राममोहन राय पर लिखते समय रवीन्द्रनाथ टैगोर ने बड़े महत्व की बात लिखी है। लिखा है-
" मानव-इतिहास की मुख्य समस्या क्या है ?यही कि अन्धता और मूर्खता के कारण मनुष्य का मनुष्य से विच्छेद हो जाता है। मानव समाज का सर्वप्रधान तत्व है मनुष्य-मात्र का ऐक्य। सभ्यता का अर्थ है एकत्र होने का अनुशीलन।"
जगदीश्वर चतुर्वेदी
Note - Raja Ram Mohan Roy was one of the founders of the Brahmo Sabha, the precursor of the Brahmo Samaj, a social-religious reform movement in the Indian subcontinent. He was given the title of Raja by Akbar II, the Mughal emperor.