Treason for selling LIC by Modi government - Ajit Yadav
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मोदी सरकार द्वारा एलआईसी को बेचने के फैसले के विरोध में जिलाधिकारी बदायूँ को दिया प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन
बदायूँ 06 फरवरी। मोदी सरकार का एलआईसी को बेचने का फैसला देशद्रोह है। यह 42 करोड़ देशवासियों की खून पसीने की कमाई पर शेयर बाजार के जरिये बड़े पूंजी घरानों और विदेश कंपनियों का कब्जा कराने की साजिश है।
उक्त वक्तव्य संविधान रक्षक सभा के उपाध्यक्ष अजीत सिंह यादव ने आज जारी बयान में दिया। इससे पहले संविधान रक्षक सभा के प्रतिनिधिमंडल ने एलआईसी को बेचने के विरोध में आज जिलाधिकारी बदायूँ के माध्यम से प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजा। ज्ञापन में एलआईसी को बेचने का फैसला वापस लेने की मांग की गई।
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श्री यादव ने कहा कि मोदी सरकार की ओर संसद में बजट पेश करते हुए 01 फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एलआईसी में आईपीओ के जरिये सरकारी हिस्सेदारी बेचने की घोषणा की थी।
शेयर बाजार में सूचीबद्ध कर मोदी सरकार एलआईसी को खुले बाजार में बेच रही है। एलआईसी देश की सबसे बडी बीमा कंपनी है जिसके पास 31 लाख करोड़ से ज्यादा की परिसंपत्तियां हैं। जब एलआईसी बनी थी तब सरकार ने इसमें मात्र 5 करोड़ रुपये लगाए थे। तब से लेकर आज तक इसने सरकार और देश को फायदा पहुंचाया है। इस साल एलआईसी ने सरकार को 2611 करोड़ रुपया का डिविडेंट दिया है। एलआईसी रेलवे में हर साल 20 हजार करोड़ का निवेश करती है। यह सरकारी योजनाओं और जनता के हित में निवेश करती है।
उन्होंने कहा कि एलआईसी से 42 करोड़ देशवासी जुड़े हुए हैं। वह एक प्रोफिटमैकिंग कंपनी है। एलआईसी का निजीकरण होने से 42 करोड़ देशवासियों की मेहनत से कमाई बचत पूंजी पर बड़े पूँजीघरानों और विदेशी कंपनियों का कब्जा हो जाएगा और जनहित की योजनाओं में एलआईसी का निवेश बंद हो जाएगा।
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उन्होंने कहा कि एलआईसी को बेचना देशहित और जनहित के विरुद्ध है इसलिए सरकार इस फैसले को वापस ले।
ज्ञापन देने वाले प्रतिनिधिमंडल में संविधान रक्षक सभा के मुस्लिम अंसारी, डॉ नफीसुर्रहमान, वीरेंद्र जाटव, फैसल अहमद आदि पदाधिकारी शामिल रहे।