अन्नदाता किसानों की शहादत पर हुई श्रद्धांजलि सभाएं
कारपोरेट की चौकीदारी छोड़ किसान विरोधी कानून वापस ले मोदी सरकार
Tribute meetings on martyrdom of Annadata farmers
लखनऊ, 20 दिसम्बर 2020: किसानों को बदनाम कर आंदोलन का दमन करने का मोदी सरकार का दांव विफल साबित हुआ है। किसान विरोधी तीनों कानून की वापसी, एमएसपी पर कानून बनाने, विद्युत संशोधन विधेयक वापस लेने की मांग पर किसानों के आंदोलन को राष्ट्रव्यापी समर्थन मिल रहा है। इसी कड़ी में आज आंदोलन के दौरान शहीद हुए लोगों की याद में आयोजित शोक सभाओं को आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट और मजदूर किसान मंच के कार्यकर्ताओं ने गांव-गांव किया साथ ही डिजिटल माध्यम द्वारा भी शोक संदेश दिए गए।
यह जानकारी एआईपीएफ के राष्ट्रीय प्रवक्ता एस. आर. दारापुरी व मजदूर किसान मंच के महासचिव डा. बृज बिहारी ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में दी।
इन शोक सभाओं में किसान आंदोलन के शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए इस शोक को शक्ति में बदलने का संकल्प लिया गया और किसान आंदोलन के संदेश को व्यापक जन संवाद कर आम आदमी तक पहुंचाने का संकल्प लिया गया।
कार्यक्रमों में लिए प्रस्ताव में कहा गया कि सरकार की संवेदनहीनता की हद है जहां भीषण जाड़े में देश की आर्थिक सम्प्रभुता को बचाने के लिए अन्नदाता लाखों की संख्या में दिल्ली के बाहर डेरा डाले हुए है और अपनी जान गंवा रहा है, वहीं गृह मंत्री बंगाल चुनाव के लिए रोड़ शो कर रहे हैं , गीत संगीत का आनंद ले रहे हैं। प्रधानमंत्री रोज कारपोरेट घरानों के सम्मेलनों को सम्बोधित कर किसानों के खिलाफ जहर उगल रहे हैं। दरअसल मोदी की महामानव की कृत्रिम छवि का सच अब देश जानने लगा है। लोग कहने लगे हैं कि ये अम्बानी और अडानी के चौकीदार हैं जिनकी हिफाजत के लिए ये और इनका मातृ संगठन आरएसएस रात दिन काम करता है। इसलिए बेहतर होगा कि सरकार कारपोरेट की चौकीदारी छोड़ देश के सत्तर फीसदी किसानों को तबाह करने वाले कानूनों को रद्द करे और एमएसपी पर कानून बनाए।
प्रस्ताव में कहा गया कि योगी सरकार द्वारा धान की रिकार्ड खरीद का दावा झूठ का पुलिंदा है। सच तो ये है कि नवम्बर के प्रथम सप्ताह से खरीद शुरू होने के बावजूद किसान अपने धान को बेचने के लिए पूरे प्रदेश में बुरी तरह परेशान हैं। पहले खरीद के लिए बोरा तक नहीं था, अब कहीं मशीन खराब, कहीं लेखपाल की रिपोर्ट का अभाव और कहीं नमी ज्यादा कहकर किसानों को बैरंग लौटा दिया जा रहा है। हालत इतनी बुरी है कि कई जिलों में तो हाईब्रिड धान की न तो सरकारी और न ही निजी खरीद हो रही है। मजबूरी में किसान समर्थन मूल्य से बेहद कम दर पर धान बेचने को मजबूर है। पीएम के वायदे के बावजूद गन्ना किसानों के बकाए का भुगतान नहीं हुआ उलटे सरकारी सब्सिडी और बकाए के ब्याज मात्र से मिल मालिक मालामाल हो रहे हैं।
आज हुए कार्यक्रमों का नेतृत्व बिहार के सीवान में पूर्व विधायक व एआईपीएफ प्रवक्ता रमेश सिंह कुशवाहा, कुणाल कुशवाहा, पटना में एडवोकेट अशोक कुमार, लखीमपुर खीरी में एआईपीएफ के प्रदेश अध्यक्ष डा. बी. आर. गौतम, सीतापुर में मजदूर किसान मंच नेता सुनीला रावत, युवा मंच के नागेश गौतम, अभिलाष गौतम, लखनऊ में लाल बहादुर सिंह, दिनकर कपूर, उपाध्यक्ष उमाकांत श्रीवास्तव, वाराणसी में प्रदेश उपाध्यक्ष योगीराज पटेल, सोनभद्र में प्रदेश उपाध्यक्ष कांता कोल, प्रदेश सचिव जितेन्द्र धांगर, कृपाशंकर पनिका, राजेन्द्र प्रसाद गोंड़, सूरज कोल, श्रीकांत सिंह, राजकुमार खरवाऱ, रामनाथ गोंड़, आगरा में वर्कर्स फ्रंट उपाध्यक्ष ई. दुर्गा प्रसाद, चंदौली में अजय राय, आलोक राजभर, डा. राम कुमार राजभर, गंगा चेरो, रामेश्वर प्रसाद, इलाहाबाद में युवा मंच संयोजक राजेश सचान, अनिल सिंह, मऊ में बुनकर वाहिनी के इकबाल अहमद अंसारी, गोण्ड़ा में एडवोकेट कमलेश सिंह, अमरनाथ सिंह, बलिया में मास्टर कन्हैया प्रसाद, बस्ती में एडवोकेट राजनारायण मिश्र, श्याम मनोहर जायसवाल ने किया।
https://youtu.be/piYNO-FOvQo
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