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कार्बन कैप्चर ऐंड यूटिलाइजेशन क्षेत्र में दो नये राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र

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hastakshep
11 Feb 2022
जानिए हमारे दैनिक जीवन में विज्ञान की उपयोगिता क्या है

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Two new National Centers of Excellence in Carbon Capture and Utilization

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जानिए नेशनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन कार्बन कैप्चर ऐंड यूटिलाइजेशन के बारे में

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नई दिल्ली, 11 फरवरी, 2022:भारत में कार्बन कैप्चर ऐंड यूटिलाइजेशन (सीसीयू) के लिए दो राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं। ये केंद्र नेशनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन कार्बन कैप्चर ऐंड यूटिलाइजेशन (National Center of Excellence in Carbon Capture and Utilizationएनसीओई-सीसीयू) के नाम से भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) बॉम्बे और जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च (जेएनसीएएसआर), बंगलूरू में स्थापित किए जा रहे हैं। भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के समर्थन से इन केंद्रों को स्थापित किया जा रहा है।

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भारत को उसके जलवायु लक्ष्यों और प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकी क्षमताओं की खोज एवं उनके प्रभावी उपयोग का मार्ग प्रशस्त करने में इन उत्कृष्टता केंद्रों की अहम भूमिका होगी। अपने क्षेत्र में वर्तमान अनुसंधान एवं विकास और नवाचार गतिविधियों पर इन केंद्रों की पैनी नज़र रहेगी और ये उन्हें विकास की सुविधा प्रदान करेंगे। साझीदार समूहों और संगठनों के बीच समन्वय और तालमेल के साथ शोधकर्ताओं, उद्योगों एवं हितधारकों के नेटवर्क विकसित करने में भी उत्कृष्टता केंद्र महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। कार्बन कैप्चर ऐंड यूटिलाइजेशन (सीसीयू) के क्षेत्र में अत्याधुनिक अनुसंधान और अनुप्रयोग-उन्मुख पहल के लिए बहुआयामी, दीर्घकालिक अनुसंधान, डिजाइन विकास, सहयोगी और क्षमता-निर्माण में भी इन केंद्रों की अहम भूमिका होगी।

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आईआईटी बॉम्बे में एनसीईयू-सीसीयू भारत में उद्योग-उन्मुख सीसीयू नवाचारों को मजबूत आधार प्रदान करने के साथ-साथ भविष्य की विज्ञान प्रौद्योगिकी पहलों को परिभाषित करने के लिए भी कार्य करेगा। यह केंद्र कार्बन कैप्चर एवं उसके उपयोग के तरीकों में अनुसंधान एवं विकास प्रयासों में तेजी लाएगा। कैप्चर किए गए कार्बन डाइऑक्साइड को रसायनों में परिवर्तित करने, कार्बन डाईऑक्साइड परिवहन, संपीड़न और उपयोग के साथ-साथ बढ़ी हुई हाइड्रोकार्बन पुनः प्राप्त करने के लिए भी ये केंद्र काम करेंगे। एनसीईओ-सीसीयू पावर प्लांट और बायोगैस प्लांट के अपशिष्टों से प्रतिनिधि ग्रिप गैस से कुशल कार्बन डाईऑक्साइड कैप्चर का विकास और प्रदर्शन भी करेगा।

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इस संबंध में, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा जारी वक्तव्य में बताया गया है कि जेएनसीएएसआर, बंगलूरू में एनसीसीसीयू का उद्देश्य प्रासंगिक सामग्री और कार्यप्रणाली विकसित करके कार्बन कैप्चर और रूपांतरण को विकसित और प्रदर्शित करना है। इन प्रक्रियाओं को हाइड्रोकार्बन, ओलेफाइन और अन्य मूल्यवर्द्धित रसायनों और ईंधन के उत्पादन के लिए पायलट स्केल मोड तक बढ़ाया जाएगा। यह उद्योग स्तर पर व्यावसायिक आवश्यकता के अनुरूप प्रौद्योगिकी तत्परता स्तर तक पहुँचने पर भी काम करेगा। उत्कृष्टता केंद्र सीसीयू अनुसंधान को बढ़ावा देगा, प्रशिक्षण और परामर्श प्रदान करेगा, और वैश्विक आर्थिक और सामाजिक प्रभाव वाले समाधान में अपनी शोध उत्कृष्टता का उपयोग करेगा।

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ये केंद्र उपयुक्त और व्यवहार्य अनुसंधान एवं विकास और नवाचार रोडमैप के विकास में सहायता करेंगे और अंतरराष्ट्रीय रुझानों पर भी नज़र रखेंगे, एवं संभावित सहयोगात्मक प्रयासों का सुझाव देंगे।

परिवर्तनशील जलवायु व्यवस्था में उत्सर्जन कटौती प्रौद्योगिकियों के पोर्टफोलियो के सही संतुलन की पहचान के साथ-साथ उस पर अमल करना समान रूप से महत्वपूर्ण है। कार्बन कैप्चर ऐंड यूटिलाइजेशन, अभूतपूर्व गति से निरंतर बढ़ रहे कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए अपनाए जाने वाले प्रमुख रास्तों में से एक है। यह उल्लेखनीय है कि 17 सतत् विकास लक्ष्यों (एसडीजी) में से सीसीयू का संबंध पाँच के साथ जुड़ा है, जिनमें जलवायु परिवर्तन के खिलाफ पहल; स्वच्छ ऊर्जा, उद्योग, नवाचार एवं बुनियादी ढांचा; जिम्मेदार खपत एवं उत्पादन; और प्रभावी लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए साझेदारी शामिल है।

(इंडिया साइंस वायर)

Topics: DST, IIT Bombay, JNCASR Bengaluru, Carbon Capture, Carbon Utilisation, CO2, Carbon dioxide, Climate Change, Innovation, NCOE-CCU

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