केंद्रीय बजट2022-23 पर प्रतिक्रिया | Feedback on Union Budget 2022-23
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वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala sitharaman) ने जो आर्थिक सर्वेक्षण (economic survey) पेश किया, वह आंकड़ेबाजी से देश को गुमराह करने वाला है।
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महामारी की राजनीति से देश की अर्थव्यवस्था को जो भारी नुकसान हुआ है, उत्पादन प्रणाली जिस तरह ध्वस्त हो गयी है, लोग रोज़गार और आजीविका से जैसे बेदखल हुए, जिस तरह मुद्रास्फीति और महंगाई बढ़ी, उसकी असल तस्वीर छिपाकर 8.5 प्रतिशत की विकास दर का सपना दिखाया जा रहा है।
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कोरोना से निपटने के 35 हजार करोड़ के पैकेज का क्या हुआ? चिकित्सा ढांचा दुरुस्त करने का क्या हुआ?
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वित्तीय घाटा की समस्या का समाधान(Solving the problem of financial deficit) किये बिना, कृषि क्षेत्र और उत्पादन के संकट के समाधान के बिना आईटी सेक्टर और 5जी, विनिवेश और मौद्रिक उदारीकरण, निजीकरण और उदार आर्थिक नीतियों के जरिये कारपोरेट कम्पनियों को देश को लूटने के लिए और ज्यादा मौका देने की पृष्ठभूमि बनाई गई है।
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आजीविका और रोजगार सृजन की कोई दिशा नहीं है और न राजनीतिक इच्छाशक्ति है।
उपभोक्ता की क्रयशक्ति छीनकर बाजार को मजबूत करने के दावे किए जा रहे हैं और देश के विकास के लिए विदेशी निवेश पर जोर है। जबकि पिछले चार महीने से लगातार विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से पैसा निकाल रहे हैं।
आपदा में किनके लिए अवसर हैं?
कितनी बेशर्म सरकार है कि एअर इंडिया के निजीकरण को सबसे बड़ी उपलब्धि बता रही है।
देश बेचना ही इनकी सबसे बड़ी उपलब्धि है।
चिकित्सा और शिक्षा इनकी प्राथमिकता में नहीं है। लोक कल्याण का कोई इरादा नहीं है।
आयकर में बम्पर छूट की उम्मीद लगाए पढ़े लिखे लोग, कारोबारी, नौकरीपेशा पेशेवर लोग, ट्रेड यूनियनें, किसान संगठन, जन संगठन, छोटे औ रमंझौले उद्योगपति जरूर बजट को ध्यान से देखें कि कैसे उनका सत्यानाश का चाक चौबंद इंतज़ाम किया जा रहा है।