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बिजली इंजीनियर फेडरेशन ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र भेजा, इलेक्ट्रीसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2021 का विरोध करने की माँग की

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hastakshep
16 Feb 2021
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Shailendra Dubey, Chairman - All India Power Engineers Federation

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इलेक्ट्रीसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2021 पर केंद्रीय विद्युत मन्त्री की राज्यों से बैठक 17 फरवरी को

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AIPEF urges chief ministers to seek more time for comments on draft Electricity (Amendment) Bill 2021

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Union Power Minister to hold Meeting on 17thFeb

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लखनऊ, 16 फरवरी 2021. इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2021 को संसद के मौजूदा सत्र में पारित कराने की दृष्टि से केंद्रीय विद्युत मंत्री 17 फरवरी को सभी राज्यों के ऊर्जा सचिवों और विद्युत वितरण कंपनियों के सीएमडी से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पूरे दिन मीटिंग करने वाले हैं। इस बीच ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों को पत्र भेजकर मांग की है कि वे निजीकरण की दृष्टि से लाए जा रहे इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2021 का मीटिंग में विरोध करें।

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फेडरेशन ने कहा है कि सभी स्टेकहोल्डरों को विश्वास मे लिए बिना इसे संसद में न रखा जाए और दूरगामी परिणाम देने वाले इस बिल को रोकने के लिए सभी सरकारें 17 फरवरी की बैठक में दिखाई जाने वाली जल्दबाजी के चलते इसका विरोध करें।

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ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने कल सभी प्रांतों के मुख्यमंत्रियों को इस बाबत एक पत्र भेजा है।

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पत्र की प्रतिलिपि सभी प्रांतों के मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव ऊर्जा और ऊर्जा निगमों के सीएमडी को दी गई है।

ऑल इंडिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन ने अपने पत्र में इस बात पर विरोध दर्ज किया है कि इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2021 अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है और न ही इस बिल पर स्टेकहोल्डर खासकर बिजली उपभोक्ताओं और बिजली कर्मचारियों व इंजीनियरों की राय मांगी गई है। ऐसे में गुपचुप केवल राज्यों के प्रमुख सचिव ऊर्जा और बिजली कंपनियों के सीएमडी से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर इस बिल के मसौदे को अंतिम रूप देने की कवायद की जा रही है जो आपत्तिजनक है।

फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने कहा कि सभी राज्यों के प्रमुख सचिव व सीएमडी आईएएस अधिकारी हैं ऐसे में बहुत महत्व के इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल के तकनीकी पहलुओं पर कोई विचार-विमर्श नहीं हो पाएगा और उपभोक्ताओं व कर्मचारियों को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर इनकी राय भी नहीं मिल पाएगी।

उन्होंने बताया कि बिल में एक क्षेत्र में एक से अधिक निजी क्षेत्र की विद्युत वितरण कंपनियों को बिजली आपूर्ति की अनुमति देने का प्रावधान है तथा विद्युत आपूर्ति के लिए लाइसेंस समाप्त कर दिया जाएगा।

उन्होंने बताया कि नई आने वाली सभी निजी कंपनियां मौजूदा विद्युत वितरण निगम के बिजली नेटवर्क का प्रयोग करेगी और नेटवर्क के निर्माण व मेंटेनेंस पर बिना कोई पैसा खर्च किए मुनाफा कमाएंगे। साथ ही नई कंपनियों को सभी श्रेणी के उपभोक्ताओं को बिजली देने की कोई बाध्यता नहीं होगी। परिणाम स्वरूप निजी कंपनियां केवल औद्योगिक और वाणिज्यिक उपभोक्ताओं को ही बिजली देगी। इस प्रकार सरकारी विद्युत वितरण निगम से मुनाफे वाले औद्योगिक और वाणिज्यिक उपभोक्ता निकल जाएंगे और सरकारी विद्युत वितरण कंपनियां और ज्यादा घाटे में चली जाएंगी। इसका परिणाम यह होगा कि सरकारी कंपनियों के पास बिजली खरीद के लिए भी पैसा नहीं होगा जिसका सीधा खामियाजा किसानों और गरीब उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ेगा।

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