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के के की मौत : असमय मौत के खतरे

जनता को सताकर मालामाल होती मोदी सरकार

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रुला गई कृष्णकुमार कुन्नथ यानी के के की मौत

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सुप्रसिद्ध गायक के के की असामयिक मौत पर संपादकीय टिप्पणी | देशबन्धु में संपादकीय आज (Editorial in Deshbandhu today)

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सुप्रसिद्ध गायक कृष्णकुमार कुन्नथ यानी के के की असामयिक मौत (Untimely death of famous singer Krishnakumar Kunnath i.e. KK) से हर कोई स्तब्ध है। सोशल मीडिया पर केके की याद में ढेर सारे संदेश भेजे जा रहे हैं। उनके साथी कलाकार उन्हें अपने तरीके से याद कर रहे हैं। केके के प्रशंसक गीतों को याद करके भावुक हुए जा रहे हैं।

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एक लंबे अरसे तक के के की आवाज़ का जादू फिल्म इंडस्ट्री पर छाया रहा और अनंतकाल तक उनके गाए गीत गूंजते रहेंगे।

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आपको बता दें कि के के मंगलवार को कोलकाता में एक कार्यक्रम में प्रस्तुति दे रहे थे, बताया जा रहा है कि कार्यक्रम के बीच में ही उन्हें असहजता महसूस हुई, वे कार्यक्रम से निकल कर अपने होटल पहुंचे, वहां उनकी तबियत बिगड़ी, उन्हें अस्पताल ले जाया गया, मगर तब तक वे इस दुनिया से जा चुके थे।

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महज 53 बरस कोई मरने की उम्र होती है?

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एक कलाकार के लिहाज से कला की साधना करते हुए दुनिया के रंगमंच से विदा लेने का यह शानदार तरीका था। मगर महज 53 बरस की उम्र क्या मरने की होती है, यह सवाल बार-बार लोगों के मन में उठ रहा है।

के के से पहले भी और सेलीब्रेटीज़ हो चुकी हैं असमय मौत का शिकार

के के से पहले बिग बॉस के विजेता और अभिनेता सिद्धार्थ शुक्ला (Bigg Boss winner and actor Siddharth Shukla), मंदिरा बेदी के पति और निर्देशक राज कौशल (Mandira Bedi's husband and director Raj Kaushal) जैसी कुछ और हस्तियां भी इसी तरह कम उम्र में अकाल मौत का शिकार हुई हैं। और इसकी वजह हृदयाघात है, जो भारत में बड़ी तेजी से एक गंभीर समस्या की तरह उभर चुकी है।

कैसे हुई के के की मौत? कोई साजिश थी या प्राकृतिक थी के के की मौत?

के के की मौत के पीछे भी पहली नजर में कारण हृदयाघात को ही बताया जा रहा है। हालांकि पुलिस को उनके सिर और चेहरे पर चोट के निशान भी मिले हैं, तो इस कोण से भी जांच हो सकती है कि यह मौत प्राकृतिक थी या इसके पीछे कोई साजिश थी।

के के की मौत की वजह (Cause of death of K K) के पीछे सबसे बड़ा कारण कार्यक्रम में हुई बदइंतजामी को बताया जा रहा है। जिस जगह आयोजन हो रहा था वहां दो से ढाई हजार लोगों के आने की ही क्षमता थी, लेकिन पहुंचे करीब 5 हजार श्रोता। और इतनी भीड़ को हटाने के लिए गैस का भी इस्तेमाल किया गया, हो सकता है इस वजह से के के की तबियत पर असर पड़ा हो।

के के की मौत को लेकर उठ रहे सवाल

लेकिन के के की मौत को लेकर सबसे बड़ा सवाल (Biggest question about KK's death) ये है कि जब लाइव शो के दौरान ही उनकी तबियत खराब हो गई थी तो उन्हें अस्पताल ले जाने की बजाय होटल क्यों लाया गया।

एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें साफ नजर आ रहा है कि के के शो से परेशानी की हालत में निकल रहे हैं। उनके सिर और चेहरे पर मिले चोट के निशान भी किस वजह से आए, इसकी जांच होनी है।

के के की मौत अगर किसी साजिश का हिस्सा है, तो यह गंभीर बात है, क्योंकि अभी एक और गायक सिद्धू मूसेवाला की गोलियों से नृशंस हत्या हुई है। कलाकारों पर मंडराता खतरा चिंता की बात है।

किन कारणों से बढ़ रहे हैं भारत में हृदय रोगी

अगर के के की मौत हृदयाघात से हुई है, तब भी इस पर गंभीरता से सोचना होगा कि आखिर किन वजहों से भारत में हृदय के मरीज बढ़ रहे हैं और हृदयाघात साइलेंट किलर की तरह हंसती-खेलती जिंदगियों पर भारी पड़ रहा है।

भारत में हृदयाघात की समस्या गंभीर

भारत में हृदयाघात की समस्या (heart attack problem in india) कितनी गंभीर है, इसका अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि 2016 से लेकर 2019 तक देश में दिल के दौरे की वजह से मौत का आंकड़ा बढ़ा है।

प्रीमेच्योर डेथ (premature death) यानी अकाल मृत्यु के कारणों में 2005 में दिल की बीमारी का स्थान तीसरा था। लेकिन 2016 में दिल की बीमारी, अकाल मृत्यु का पहला कारण बन गया। और तब से लेकर अब तक दिल के मरीजों की संख्या बढ़ी है, कम नहीं हुई है।

नौजवान दिल की बीमारी की गिरफ्त में आने लगे हैं

10 -15 साल पहले तक दिल की बीमारी को अकसर बुजुर्गों से जोड़ कर देखा जाता था, पर अब नौजवान इसकी गिरफ्त में आने लगे हैं। उच्च रक्तचाप और कोलेस्ट्राल का बढ़ना ही नहीं व्यायाम की कमी, खराब खानपान, धूम्रपान और अपर्याप्त नींद भी हृदयाघात के कारणों (causes of heart attack) में आते ही हैं, अब इसमें तनाव और अनियमित जीवनशैली को भी जोड़ लेना चाहिए।

डाक्टरों के मुताबिक 2030 तक भारत दिल के दौरे से होने वाली मौतों के मामले में दुनिया में पहले स्थान पर होगा। युवा और मध्यम आयु वर्ग के लोगों में हृदय संबंधी समस्याएं बढ़ रही हैं, यह बेहद चिंताजनक है।

दरअसल भूमंडलीकरण के साथ ही लोगों के कामकाज और जीवनशैली में काफी बदलाव आया है। बहुराष्ट्रीय कंपनियों में काम करने वाले बहुत से लोगों के कार्य के घंटे रात को होते हैं, जिससे उन्हें जागना पड़ता है। नौकरी पर हमेशा लटकती तलवार बेहतर प्रदर्शन का दबाव बनाए रखती है। उच्च जीवन स्तर बनाए रखने के लिए अधिक से अधिक धन कमाने की होड़ रहती है। इन सबके साथ सोशल मीडिया पर अधिक वक्त देना भी तनाव को बढ़ाता है।

विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि बढ़ते वायु प्रदूषण का असर भी हृदय की बीमारियों को बढ़ा रहा है।

दिक्कत यह है कि हम समस्या, उसके कारणों और उसके निवारण को भी जानते हैं, लेकिन फिर भी उन पर अमल नहीं करते। जब किसी मशहूर हस्ती से जुड़ी कोई बुरी खबर (bad news related to a celebrity) आती है, तब उस पर चर्चा होती है। लेकिन स्वस्थ जीवन जीना है, तो बेहतर यही होगा कि अभी से आदतों को सुधारा जाए।

आज का देशबन्धु का संपादकीय (Today’s Deshbandhu editorial) का संपादित रूप साभार.

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