/hastakshep-prod/media/post_banners/iQzPFyOUU9n0oOa8u2zk.jpg)
UP Rent Agreement No House on rent without Agreement
उप्र नगरीय किरायेदारी विनियमन अध्यादेश-2021 को मंजूरी, अब सालाना 7 प्रतिशत ही बढ़ेगा किराया
Uttar Pradesh Urban Complexes Renting Regulations Ordinance 2021
लखनऊ, 9 जनवरी, 2021. उत्तर प्रदेश सरकार ने मकान मालिकों के लिए किराएदार के साथ अनुबंध करना अब अनिवार्य कर दिया है। इसके लिए आवास विभाग ने उप्र नगरीय किरायेदारी विनियमन अध्यादेश-2021 बनाया है। इसे जल्द लागू किया जाएगा। इसके लागू होने से सालाना पांच से सात फीसदी ही किराया बढ़ाया जा सकेगा।
अब मनमाने ढंग से किराया नहीं बढ़ा सकेंगे मकान मालिक
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार ने मकान मालिक और किरायेदारों के बीच विवाद (Dispute between landlord and tenants) सुलझाने के लिए इस अध्यादेश को मंजूरी दी है।
नया कानून लागू होने के बाद बिना अनुबंध किराएदार रखना प्रतिबंधित होगा। वहीं, मकान मालिक मनमाने ढंग से किराया भी नहीं बढ़ा सकेंगे। किराएदार रखने से पहले मकान मालिक को इसकी सूचना किराया प्राधिकरण को देना होगा। साथ ही मकान मालिक को तीन माह के अंदर अनुबंध पत्र किराया प्राधिकरण में जमा करना होगा।
Disputes will be settled by the Rent Authority and Rent Tribunal.
किराएदारी अध्यादेश (Tenancy ordinance) में अनुबंध के आधार पर ही किराये पर मकान देने का प्रावधान है। विवादों का निस्तारण रेंट अथॉरिटी एवं रेंट ट्रिब्यूनल करेंगे। ट्रिब्यूनल को अधिकतम 60 दिनों में मामले का निस्तारण करना होगा। मकान मालिक किराये में मनमानी बढ़ोतरी भी नहीं कर सकेंगे। सालाना पांच से सात फीसदी ही किराये में वृद्धि की जा सकेगी।
प्रदेश में वर्तमान में उत्तर प्रदेश शहरी भवन (किराये पर देने, किराया तथा बेदखली विनियमन) अधिनियम-1972 लागू है। यह कानून काफी पुराना हो चुका है। प्रदेश में इस समय मकान मालिक व किरायेदारों के बीच विवाद बढ़ गए हैं। बड़ी संख्या में मामले अदालतों में चल रहे हैं। सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर प्रदेश सरकार ने केंद्र के मॉडल टेनेंसी एक्ट के आधार पर नया अध्यादेश तैयार किया है। इसे शुक्रवार को कैबिनेट बाई सर्कुलेशन के जरिए मंजूरी दे दी गई।
क्या है नए किराएदारी अध्यादेश में
अध्यादेश में ऐसी व्यवस्था की गई है कि मकान मालिक मनमाने तरीके से किराया नहीं बढ़ा सकेंगे। इसमें जो व्यवस्था है उसके अनुसार आवासीय पर पांच फीसदी और गैर आवासीय पर सात फीसदी सालाना किराया बढ़ाया जा सकता है। किराएदार को भी किराये वाले स्थान की देखभाल करनी होगी। दो महीने तक किराया न देने पर किराएदार को मकान मालिक हटा सकेंगे। किराएदार घर में बिना पूछे तोड़फोड़ नहीं कर सकेंगे। पहले से रह रहे किराएदारों के साथ यदि अनुबंध नहीं है तो इसके लिए तीन महीने का समय दिया गया है।
किराएदार से सिक्योरिटी डिपॉजिट में दो महीने से अधिक एडवांस नहीं ले सकेंगे
किराया बढ़ाने के विवाद पर रेंट ट्रिब्यूनल संशोधित किराया और किराएदार द्वारा देय अन्य शुल्क का निर्धारित कर सकेंगे। सिक्योरिटी डिपॉजिट के नाम पर मकान मालिक आवासीय परिसर के लिए दो महीने से अधिक एडवांस नहीं ले सकेंगे जबकि गैर आवासीय परिसरों के लिए छह माह का एडवांस लिया जा सकेगा।
केंद्र सरकार, राज्य सरकार या केंद्र शासित प्रदेश के उपक्रम में यह कानून लागू नहीं होगा। कंपनी, विश्वविद्यालय या कोई संगठन, सेवा अनुबंध के रूप में अपने कर्मचारियों को किराये पर कोई मकान देते हैं तो उन पर यह लागू नहीं होगा। धार्मिक, धार्मिक संस्थान, लोक न्याय अधिनियम के तहत पंजीत ट्रस्ट, वक्फ के स्वामित्व वाले परिसर पर भी किरायेदारी कानून प्रभावी नहीं होगा।