Uttar Pradesh has become the graveyard of democracy in the Yogi government: CPI (ML)
भाकपा (माले) ने वाराणसी जिला प्रशासन के आरोप का खंडन किया, कहा, सीएए के नाम पर फिर से दमन करने की साजिश
The CPI (ML) denied the allegation of the Varanasi district administration, saying, a conspiracy to repress in the name of CAA
लखनऊ, 25 जनवरी 2020. भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माले) की राज्य इकाई ने वाराणसी जिला प्रशासन के उस आरोप का खंडन किया है, जिसमें प्रशासन द्वारा कहा गया है कि गुरुवार को बेनियाबाग मैदान में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन व पथराव में पार्टी की केंद्रीय समिति सदस्य मनीष शर्मा समेत माले नेताओं की संलिप्तता थी।
पार्टी के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने शनिवार को एक बयान जारी कर कहा कि यह माले कार्यकर्ताओं का दोबारा दमन करने की वाराणसी प्रशासन की चाल है। उन्होंने इसकी निंदा करते हुए कहा कि वाराणसी के अलावा रायबरेली में भी सीएए-विरोधी आंदोलन के नाम पर माले नेताओं का प्रशासन द्वारा उत्पीड़न किया जा रहा है। यहां पार्टी जिला प्रभारी अफरोज आलम को दो-दो बार कड़ी शर्तों के साथ जमानतें कराने की प्रशासन द्वारा अलग-अलग नोटिसें तामिल कराई गई हैं। पार्टी के कई अन्य कार्यकर्ताओं के साथ भी ऐसा ही सलूक किया गया है। वहीं वाराणसी में 19 दिसंबर के शांतिपूर्ण सीएए-विरोध में गिरफ्तारी के बाद एक पखवाड़े से ऊपर जेल में रहे मनीष शर्मा को नए व फर्जी संगीन आरोप लगा कर फिर से जेल में डालने की साजिश रची जा रही है।
माले राज्य सचिव ने कहा कि योगी सरकार में उत्तर प्रदेश लोकतंत्र की कब्रगाह बन गया है। लोगों के सामान्य लोकतांत्रिक अधिकारों को प्रतिबंधित कर तानाशाही पूर्ण तरीके से सरकार व प्रशासन चलाया जा रहा है। नागरिकों को डराया जा रहा है और निर्दोषों पर मुकदमे लादे जा रहे हैं। उन्होंने लोकतंत्र की रक्षा के लिए विपक्ष की शक्तियों से एकजुट होकर योगी सरकार को उखाड़ फेंकने का आह्वान किया।
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