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उत्तराखण्ड : सीएम के चुनाव क्षेत्र में रिपोर्टिंग करने जा रहे पत्रकार पर मुकदमा, हिरासत

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hastakshep
09 Feb 2022
उत्तराखण्ड : सीएम के चुनाव क्षेत्र में रिपोर्टिंग करने जा रहे पत्रकार पर मुकदमा, हिरासत

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Uttarakhand: Journalist going to report in CM's constituency sued, detained

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नई दिल्ली, 09 फरवरी 2022. उत्तराखण्ड चुनाव की कवरेज करने जा रहे जनज्वार के संपादक अजय प्रकाश को सोमवार 7 फरवरी को उधमसिंहनगर में हिरासत में ले लिया गया। वे मुख्‍यमंत्री पुष्‍कर धामी के चुनाव क्षेत्र खटीमा में रिपोर्टिंग करने जा रहे थे।

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जनज्वार के संपादक अजय प्रकाश की गिरफ्तारी का पूरा मामला क्या है?

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अजय प्रकाश बताते हैं, वह रुद्रपुर से टैक्सी लेकर मुख्यमंत्री धामी के विधानसभा क्षेत्र खटीमा की चुनावी कवरेज के लिए जा रहे थे। पुलभट्टा थाने के पास एआरटीओ बीके सिंह (Arto BK Singh) ने जबरन उनकी गाड़ी रोकी और ड्राइवर के साथ गाली—गलौच करने के साथ तरह—तरह की धमकियां देने लगे। जब अजय ने बताया कि वो पत्रकार हैं और चुनाव कवर करने जा रहे हैं उन्हें जाने दिया जाये तो बीके सिंह उनके साथ भी बदसलूकी करने लगे, जिसके बाद अजय ने अपनी वेबसाइट के फेसबुक पेज facebook.com/janjwar पर घटना का लाइव कर दिया।

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इससे चिढ़े एआरटीओ ने पुलिस बुला ली और धमकाने लगा कि अब तुम्हें तुम्हारी औकात दिखाता हूं, जेल में डलवाता हूं। पुलिस अजय प्रकाश को उनके साथी और ड्राइवर समेत पुलभट्टा थाने में ले गयी और बीके सिंह की तरफ से उनके खिलाफ विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कर दिया गया।

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अजय प्रकाश को थाने में घंटों तक बिठाये जाने की सूचना उनके परिजनों को तक नहीं थी। उनकी पत्नी और पत्रकार प्रेमा नेगी कहती हैं, 'यह ठीक है कि अजय को शिकायत के आधार पर हिरासत में रखा गया, मगर क्या पुलिस का कोई ऐसा नियम नहीं है कि उनके परिजनों को इस बात की सूचना दी जाये। मैं लगातार अजय को फोन करती रही, मगर पुलिसकर्मियों ने उनका फोन जो अपने कब्जे में लिया था, नहीं उठाया। अनगिनत बात फोन करने पर भी नहीं उठाये जाने के बाद घबराकर और परेशान होकर वहां के कुछ पत्रकारों से मैंने निवेदन किया कि जहां पर ARTO विपिन कुमार सिंह के साथ वीडियो लाइव हुआ है, वहां के आसपास के थाने में कोई केस आया हो तो प्लीज मुझे बता दीजिये, मगर फिर कोई जानकारी नहीं मिल रही थी। मैं परेशान हो रही थी, घबराहट बढ़ रही थी। बड़ी मुश्किल से शाम को 7 बजे के आसपास मुझे अजय का फोन आया, शायद पुलिसकर्मियों से उन्होंने रिक्वेस्ट की होगी कि इस बात की सूचना अपने घरवालों को देना चाहता हूं, तब मुझे इस बात की जानकारी हुई कि उन्हें थाने में बिठाकर रखा गया है। मैंने तमाम मीडियाकर्मियों समेत कई लोगों से यह सूचना साझा की, पत्रकार रूपेश कुमार सिंह मौके पर पहुंचे और मुझे आश्वस्त किया कि सब कुछ ठीक ठाक है। हालांकि बजाय ARTO विपिन कुमार सिंह खुद की करतूत पर शर्मिंदा होने के अजय और उनके साथ 2 लोगों पर विभिन्न धाराओं में एफआईआर दर्ज करवा चुके हैं।'

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जानकारी के मुताबिक जनज्‍वार की टीम किराये की गाड़ी से खटीमा जा रही थी। बरेली के रास्‍ते पर परिवहन विभाग वाहनों को रोक कर चेकिंग कर रहा था और लंबा जाम लगा हुआ था। इसी बीच जनज्‍वार की गाड़ी को रोका गया ओर ड्राइवर का लाइसेंस मांगा गया। फिर लाइसेंस ज़ब्‍त कर लिया गया। अजय प्रकाश ने इसका विरोध किया और वहीं मौके से मामला लाइव कर दिया जिससे परिवहन अधिकारी बी.के. सिंह उखड़ गए और जेल में डालने की धमकी देने लगे।

अच्छे दिनों में पत्रकारों का उत्‍पीड़न आम हो गया है

पत्रकारों के काम में बाधा डालने का जो चलन चला है, उसमें सरकारी अधिकारी सरकारी काम में बाधा डालने की धाराएं लगाकर पत्रकारों का उत्‍पीड़न करते देखे गए हैं। अजय के मामले में भी यही हुआ है। कई फर्जी धाराओं में उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। उत्‍तर प्रदेश में 2020 और 2021 के लॉकडाउन के दौरान ऐसे बहुत से मामले सामने आए थे। शांतिप्रिय माने जाने वाले उत्‍तराखंड से भी इस तरह के मामले सामने आना चिंताजनक है।

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