स्वामी विवेकानंद का संदेश लेकर राहुल गांधी भी अमेरिका जा रहे हैं
राहुल गांधी पूरी ताकत के साथ, नफरत के खिलाफ लड़ रहे हैं। धर्म के आधार पर, कहीं जाति के आधार, पर कहीं क्षेत्र के आधार पर, कहीं भाषा के आधार पर जो नफरत पैदा की जा रही है, उनके खिलाफ बड़ी हिम्मत के साथ राहुल गांधी लगातार जूझ रहे हैं।
जो परचम स्वामी विवेकानंद ने लहराया था, वही संदेश लेकर राहुल गांधी भी अमेरिका जा रहे हैं
देश में बन रही एक नई सियासी तस्वीर
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प्रोफेसर रविकान्त
ये जो नफरत का बाजार है, वो दूर होगा और इस हिंदुस्तान की जो असली तासीर है, जहां पर बहु-संस्कृति, जो हमारा समावेशी राष्ट्रवाद का स्वप्न था, गांधी का, बाबासाहेब अंबेडकर का, भगत सिंह का, वो जरूर पूरा होगा।
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इस बीच में एक व्यवधान आया। जाहिर तौर पर ये बड़ी चुनौती है। लेकिन जो सांप्रदायिकता है और एक लीडर जो पूरे देश में है, उसकी तानाशाही का जो इस समय पूरा बोलवाला है, उसके खिलाफ अगर कोई एक व्यक्ति जो इस चुनौती से लड़ने की कोशिश कर रहा है, तो उसका नाम राहुल गांधी है।
राहुल गांधी पूरी ताकत के साथ, नफरत के खिलाफ लड़ रहे हैं। धर्म के आधार पर, कहीं जाति के आधार, पर कहीं क्षेत्र के आधार पर, कहीं भाषा के आधार पर जो नफरत पैदा की जा रही है, उनके खिलाफ बड़ी हिम्मत के साथ राहुल गांधी लगातार जूझ रहे हैं।
और पिछले दोनों जो भारत जोड़ो यात्रा राहुल गांधी ने की, उसने सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि दुनिया के तमाम देशों में वो संदेश दे दिया। और यही वजह है की राहुल गांधी आज दुनिया में और भारत के नेताओं में उनकी एक बड़ी सेकुलर छवि बनी है, एक ऐसे नेता की छवि बनी है जो अपने देश से बहुत मोहब्बत करता है, जो लोगों में विभाजनकारी राजनीति को नहीं पसंद करता है, जो लोगों को एकजुट रखना चाहता है। वो संविधान और लोकतंत्र की रक्षा करना चाहता है। राहुल गांधी की छवि ऐसे नेता की बनी है।
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राहुल गांधी अमेरिका जा रहे हैं, उसी मोहब्बत की दुकान का ख्वाब लेकर, तो मैं जो देखता हूं कि जैसे विवेकानंद भारत का संदेश लेकर के गए थे अमेरिका शिकागो में भाषण देने के लिए और उसके बाद भारत की छवि और हिंदू धर्म की छवि अगर मैं केवल विवेकानंद के ही संदर्भ में कहूं हालांकि जो भाषण वो समूचे भारत के तमाम संप्रदायों के उनकी खूबियां और इस देश की संस्कृति के विषय में था, तो जो परचम स्वामी विवेकानंद ने लहराया था वही संदेश राहुल गांधी भी लेकर के जा रहे हैं।
ये गांधी के सपनों का देश है, ये अंबेडकर के सपनों का देश है, और इसे एक होकर के ही इसकी असली तस्वीर मुकम्मल होगी रही।
(प्रोफेसर रविकान्त की वार्ता का संपादित अंश, पूरी वार्ता सुनने के लिए उपरोक्त वीडियो सुनें)
Rahul Gandhi is also going to America with the same message which was hoisted by Swami Vivekananda.