व्हेल मछली : दुनिया का सबसे बड़ा स्तनधारी जीव विलुप्ति के कगार पर !

hastakshep
14 Jun 2022
व्हेल मछली : दुनिया का सबसे बड़ा स्तनधारी जीव विलुप्ति के कगार पर !

व्हेल मछली के बारे में जानकारी (information about whale fish in Hindi)

प्रकृति कितनी बड़ी नियंता है जो अपने अनथक और सतत रूप से करोड़ों सालों से इस धरती रूपी प्रयोगशाला में स्थान, पर्यावरण और जलवायु के अनुसार उसने इसके लगभग हर भाग में करोड़ों-अरबों तरह के विभिन्न रंग-रूपों वाले अतिसूक्ष्म बैक्टीरिया से लेकर इस पृथ्वी के अब तक की सबसे विशाल जीव व्हेल जैसे बड़े जीव का भी निर्माण किया है।

प्रकृति का जैविक विकास और जीवों के निर्माण की यह प्रक्रिया सतत चलती रहती है, अभी भी प्रतिक्षण चल रही है, इसकी अनुभूति हमें नहीं होती, क्योंकि इसकी गति बहुत ही धीमी होती है।

जैविक निर्माण और जैविक विकास का कार्य (act of organic formation and organic growth) बहुत ही धीमी गति से लाखों-करोड़ों सालों के लम्बे काल खण्ड में होता है। प्रकृति द्वारा किए जाने वाले इस विकास प्रक्रिया का विशाल कालखण्ड की तुलना में मानव का जीवन बहुत ही नगण्य होता है, इसलिए हम मानव अत्यन्त छोटे से जीवनकाल में विराट प्राकृतिक प्रयोगशाला के उत्पादन उदाऊ जीवों की बनावट में विविधताओं और नये जीव की उत्पत्ति को होते हुए को अपने अल्पकालिक जीवन में नहीं देख सकते, न अनुभव कर सकते हैं। 

व्हेलों के अंधाधुंध शिकार से व्हेलों की संख्या चिंताजनक स्तर तक घटी.. 

परन्तु बहुत दुख की बात है कि इस पृथ्वी पर मनुष्य के आविर्भाव के बाद उसके अकथनीय स्वार्थ, हवस और लालच के कारण इस पृथ्वी के, इस प्रकृति के, इस अनुपम, अद्भुत और अद्वितीय सृष्टि की रचनाओं यथा रंगबिरंगे पुष्पों, तितलियों, चिड़ियों, हिरनों, बाघों, चीतों, व्हेलों आदि करोड़ों प्रजातियों को इस धरती से सदा के लिए विलुप्ति के खतरे मंडरा रहे हैं। अनेक प्रजातियां विलुप्त हो चुकी हैं, अनेक विलुप्त होने के कग़ार पर हैं और कुछ निकट भविष्य में विलुप्त हो जायेंगी।

प्रतिष्ठित वैज्ञानिक संस्था वर्ल्ड वाइल्ड फंड फॉर नेचर और जूलॉजिकल सोसायटी (World Wild Fund for Nature and Zoological Society) के वैज्ञानिकों के अनुसार मानव कृत दुष्कृत्यों यथा जंगलों की अंधाधुंध कटाई और भयंकर वायु, जल व ध्वनि प्रदूषण से 2022 तक इस धरती के दो तिहाई वन्य और पर्वतीय जीव तथा नदी, झील और सागर के जलीय जीव भी इस धरती से सदा के लिए विलुप्त हो जाएंगे।

तीन सौ प्रजाति के ऊपर विलुप्त होने का खतरा

एक वैज्ञानिक रिपोर्ट के अनुसार 1970 से अब तक यानी केवल 48 वर्षों में इस पृथ्वी के 81 प्रतिशत जीवों और कुछ देशों द्वारा समुद्रों के जलीय जीवों के अंधाधुंध शिकार (indiscriminate hunting of aquatic creatures of the seas) की वजह से उनकी तीन सौ प्रजातियों के विलुप्तिकरण का भीषण खतरा पैदा हो गया है।

दुनिया का सबसे बड़ा स्तनधारी समुद्री जीव मानव के भोजन, हवस और लालच के कारण अंधाधुंध हत्या किए जाने की वजह से विलुप्त होने के कगार पर है। जबकि मानव के लिए इसी धरती पर उसके लिए प्रचुर मात्रा में अन्यान्य भोज्य पदार्थ हैं। यह कोई और नहीं मनुष्य प्रजाति की ही भांति अपने बच्चों को दूध पिलाने वाली एक स्तनधारी जीव है, जो वैज्ञानिकों के अनुसार अरबों साल पहले स्थल से जल मतलब समुद्र में चली गई थी और किसी भी जलीय प्राणी की भाँति उसके लिए अपने को अनुकूलित करते हुए, अपने अग्र पादों को मछली की भाँति दो बड़ी पंखों में और पैरों को द्विशाखी बड़ी पंखों रूपी पतवार के रूप में बदल लिया।

यह पृथ्वी पर स्थित समुद्रों में सबसे बड़ा जलीय जीव और इस पृथ्वी का भी सबसे बड़ा जीव है, जिसे अक्सर व्हेल मछली कह दिया जाता है, परन्तु मछली परिवार से इनका दूर-दूर का भी कोई रिश्ता नहीं होता है।

बीसवीं सदी की शुरूआत तक नीली व्हेल (blue whale) दुनिया के महासागरों में प्रचुर संख्या में विचरण करती थीं।

एक वैज्ञानिक आकलन के अनुसार इनकी सबसे ज्यादा संख्या दक्षिणी ध्रुव में स्थित एंटार्कटिका महाद्वीप के आसपास के समुद्रों में लगभग 202000 से 311000 दो लाख दो हजार से तीन लाख ग्यारह हजार के बीच थी, परन्तु दुःखद रूप से अत्यधिक अवैध शिकार की वजह से 2002 में किए गये एक सर्वेक्षण में इनकी संख्या मात्र 5000 से 12000 तक की दयनीय संख्या तक गिर गई। इससे चिन्तित अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय ने 1966 में इसके अंधाधुंध शिकार पर रोक लगाया तब से इसकी संख्या में कुछ सुधार हुआ है।

अन्तर्राष्ट्रीय प्रकृति सरंक्षण संघ या इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (International Union for Conservation of Nature) या आई.यू.सी.एन. नामक संस्था द्वारा किए गये एक आकलन के अनुसार वर्तमान समय में इनकी संख्या 10000 से 25000 के बीच में है।

व्हेल मछली कितनी बड़ी है? व्हेल मछली का वजन कितना है?

डाइनोसोरस से भी बड़ा जीव है व्हेल (Whale is bigger than dinosaur)

व्हेल दुनिया का अब तक ज्ञात इतिहास का सबसे बड़ा जीव साढ़े छ करोड़ साल पूर्व इस पृथ्वी पर विचरण करने वाले जुरासिककालीन दैत्याकार डाइनोसॉरस से भी बड़ा जीव है, यह 30 मीटर लगभग 98 फुट ) लम्बी और 180 टन वजन मतलब 180000, एक लाख अस्सी हजार किलोग्राम वजन की होती है।

व्हेल मछली कितने हाथियों के बराबर होती है?

इसका मतलब व्हेल भारतीय हाथियों से काफी विशाल अफ्रीकी हाथियों से भी तीस गुना बड़े जीव हैं।

हम लोग कितने भाग्यशाली हैं कि हमारे वर्तमान काल के युग में ये प्रकृति का यह अद्भुत, अद्वितीय और अजूबा जीव जीवित हमारे समुद्रों में अभी भी विचरण कर रहा है।

व्हेलों के अस्तित्व के लिए बहुत बड़ा खतरा - जापान, नार्वे और आइसलैंड जैसे देशों में व्हेल के मांस को खाना !

अत्यन्त दुख की बात है कि इस अद्भुत और अतिविशालकाय इस जीव के माँस को कुछ देशों जैसे जापान, नार्वे और आइसलैंड में लोग खाते हैं। जापान में तो रात के खाने में व्हेल के माँस की अनिवार्यता रहती है। इसलिए ये तीनों देश व्हेलों के शिकार पर लगे प्रतिबंध का उल्लंघन (Violation of the ban on hunting of whales) करते हुए व्हेलों के लिए अनुसंधान के बहाने से उनका खूब शिकार करते हैं।

जापान तो व्हेलों के शिकार पर रोक हेतु की गई संन्धि इंटरनेशनल व्हेलिंग कमीशन (international whaling commission) का 1951 से सदस्य था, उसका कहना है कि जापानी परंपरा में व्हेल का माँस खाना अनिवार्य है, इसलिए उसे इसकी छूट दी जाय, अन्यथा वह इस सन्धि से पीऐ हट जायेगा और वह सन् 2019 से फिर व्हेलों का व्यावसायिक स्तर पर शिकार करेगा।

व्हेलों के विलुप्तिकरण के कारण अमेरिका, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड आदि देश उसे ऐसा न करने की सलाह दे रहे हैं, परन्तु जापान जो अब तक पर्यावरण संरक्षण आदि विषयों पर अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी का बराबर सहयोगी था, व्हेलों के शिकार के मामले में विश्व बिरादरी की सलाह को भी उपेक्षित कर रहा है। व्हेलों के अस्तित्व के लिए यह बहुत बड़ा खतरा आ गया है।

इसी क्रम में जापान पिछले एक साल में व्हेलों की एक प्रजाति जिन्हें मिंक व्हेल कहते हैं, उन 333 मिंक व्हेलों को मारा, जिनमें 122 मादा मिंक ह्वेलें गर्भवती थीं।

हर हाल में हम मानवों को पृथ्वी की विशालतम् जीव व्हेलों को बचाना चाहिए

हमारी मानव सभ्यता का और सभी का यह प्रथम, पावन और पवित्र कर्तव्य है कि इस धरती को, प्रकृति को, उसके सभी जीव-जन्तुओं से सम्पन्न रहते हुए जीने की आदत डालनी चाहिए, जापान जैसे देश को किसी विलुप्ति के कग़ार पर खड़े जीव उदाहरणार्थ व्हेल आदि को परम्परा के नाम पर शिकार और संहार करने का कतई अधिकार नहीं है, जापान जैसे देश के इस नासमझभरी जिद को पूरे विश्व बिरादरी को दबाव देकर सुधारने की पुरजोर कोशिश करनी ही चाहिए, ये पागलपन वाली जिद किस काम की जिसमें इस धरती की एक अमूल्य धरोहर विलुप्त हो जाय !

ध्यान रहे मानव की वैज्ञानिक उपलब्धियों की कथित इस चरम अवस्था में भी व्हेल की तो बात छोड़िए एक नन्हीं तितली को विलुप्त होने के बाद इस दुनिया में उसे पुनः लाना अभी असंभव है।

निर्मल शर्मा

'गौरैया एवम् पर्यावरण संरक्षण व समाचार पत्र-पत्रिकाओं में निष्पृह, निष्पक्ष व बेखौफ लेखन

Whale: The world's largest mammal is on the verge of extinction!

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